Font by Mehr Nastaliq Web

हवा पर कविताएँ

समीर को पंचतत्त्व या

पंचमहाभूत में से एक माना गया है। इसका विशिष्ट गुण स्पर्श कहा गया है। प्रस्तुत चयन में हवा को विषय बनाती अथवा हवा के प्रसंग का उपयोग करती कविताओं को शामिल किया गया है।

बसंती हवा

केदारनाथ अग्रवाल

हवा

विनोद भारद्वाज

हवा की बाँहें पसारे

कृष्ण मुरारी पहारिया

उदाहरण के लिए

नरेंद्र जैन

आँधी

इस्माइल मेरठी

फागुनी हवाएँ

अखिलेश सिंह

हवा के कहे की गाथा

रफ़ाइल अलबर्ती

शहर की हवा

शाम्भवी तिवारी

टूटती धार

दिनेश कुमार शुक्ल

वसीयत

अज्ञेय

अंकन

ज़्बीग्न्येव हेर्बेर्त

पवन कथा

दर्शन बुट्टर

ध्रुपद का टुकड़ा

दिनेश कुमार शुक्ल

तुम अपने ही पंख सँवारो

कृष्ण मुरारी पहारिया

आँधी

विजय राही

जैसे पवन पानी

पंकज सिंह

आश्वासन

श्रीनरेश मेहता

हवाओं से कहो

केशव तिवारी

हवा

आस्तीक वाजपेयी

सामना

विनोद दास

हवाएँ

सर्गेई येसेनिन

यह फागुनी हवा

फणीश्वरनाथ रेणु

जेठ

सुधीर रंजन सिंह

विजन गिरिपथ पर

नामवर सिंह

हवा जब आएगी

चंपा वैद

लोहे की रेलिंग

नरेश सक्सेना

ऑक्सीजन

माधुरी

आँधी

पद्मजा घोरपड़े

हवा

राकेश मिश्र

हवा

सुधीर रंजन सिंह

ले उड़ी है

मुकुंद लाठ

वसंत की हत्या

दूधनाथ सिंह

चैत की हवा

श्यामसुंदर भारती

साक्षात् के लिए

श्रीनरेश मेहता

हवा पानी

ऋतुराज

हवा का चेहरा

संजीव गुप्त

तुम्हारा आना

अखिलेश जायसवाल

हवा का झोंका

निलय उपाध्याय

इस सिकुड़े हुए शहर में

पंकज विश्वजीत

रहस्य-2

सोमेश शुक्ल

ख़ुश लोग और हवा

सविता सिंह

हवा के राग

नंदकिशोर आचार्य

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere