आकाश पर उद्धरण
आकाश का अर्थ है आसमान,
नभ, शून्य, व्योम। यह ऊँचाई, विशालता, अनंत विस्तार का प्रतीक है। भारतीय धार्मिक मान्यता में यह सृष्टि के पाँच मूल तत्वों में से एक है। पृथ्वी की इहलौकिक सत्ता में आकाश पारलौकिक सत्ता के प्रतीक रूप में उपस्थित है। आकाश आदिम काल से ही मानवीय जिज्ञासा का विषय रहा है और काव्य-चेतना में अपने विविध रूपों और बिंबों में अवतरित होता रहा है।

क्या जिसे हम क्षितिज कहते हैं, वह वास्तविकता है? या हम ऐसा कह रहे हैं? लेकिन हम अनंत को नहीं देख सकते, इसलिए हम ऐसी काल्पनिक सीमाओं को स्वीकार कर लेते हैं।

यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि दूसरों में रुचि का कारण मनुष्य की स्वयं में रुचि है। यह संसार स्वार्थ से जुड़ा है। यह ठोस वास्तविकता है लेकिन मनुष्य केवल वास्तविकता के सहारे नहीं जी सकता। आकाश के बिना इसका काम नहीं चल सकता। भले ही कोई आकाश को शून्य स्थान कहे…

हवा ने बारिश को उड़ा दिया, उड़ा दिया आकाश को और सारे पत्तों को, और वृक्ष खड़े रहे। मेरे ख़याल से, मैं भी, पतझड़ को लंबे समय से जानता हूँ।

किंवदंती के अनुसार जब ईसा पैदा हुए तो आकाश में सूर्य नाच उठा। पुराने झाड़-झंखाड़ सीधे हो गए और उनमें कोपलें निकल आईं। वे एक बार फिर फूलों से लद गए और उनसे निकलने वाली सुगंध चारों ओर फैल गई। प्रति नए वर्ष में जब हमारे अंतर में शिशु ईसा जन्म लेता है, उस समय हमारे भीतर होने वाले परिवर्तनों के ये प्रतीक हैं। बड़े दिनों की धूप से अभिसिक्त हमारे स्वभाव, जो कदाचित् बहुत दिनों से कोंपलविहीन थे, नया स्नेह, नई दया, नई कृपा और नई करुणा प्रगट करते हैं। जिस प्रकार ईसा का जन्म ईसाइयत का प्रारंभ था, उसी प्रकार बड़े दिन का स्वार्थहीन आनंद उस भावना का प्रारंभ है, जो आने वाले वर्ष को संचालित करेगी।

स्पष्ट और शांत उसकी आवाज़ श्रोताओं के ऊपर तैरती रही, जैसे एक प्रकाश, जैसे एक तारा भरा आकाश।

आकाशगंगा चिकने आसमान में बारूद के धुएँ के निशान की तरह है।

धर्म आकाश से नीचे नहीं उतरता, धरती से ऊपर उठता है।

चंद्रमा, सूरज, तारे, आकाश, घर की चीज़ों की तरह थे। चंद्रमा सूरज शाश्वत होने के बाद भी इधर-उधर होते थे।

हे माता! तुम्हारी यह धूलि, जल, आकाश और वायु—सभी मेरे लिए स्वर्ग तुल्य हैं। तुम मेरे लिए मर्त्य की पुण्य मुक्ति भूमि एवं तीर्थस्वरूपा हो।


अपने तेज़ की अग्नि में जो सब कुछ भस्म कर सकता हो, उस दृढ़ता का, आकाश के नक्षत्र कुछ बना-बिगाड़ नहीं सकते।

आकाश में उड़ते पक्षियों की गति को जाना जा सकता है परंतु गुप्त रूप से कार्य करते हुए अर्थ-सबंधी कार्यो पर नियुक्त अधिकारियों की गति को जानना संभव नहीं है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere