
उसने कहा, ‘वास्तविकता इतनी असहनीय हो गई है, इतनी धूमिल कि अब मैं केवल अपने सपनों के रंगों से ही अभिव्यक्त कर सकती हूँ।

अत्यधिक संवेदनशीलता हीन भावना की अभिव्यक्ति है।
-
संबंधित विषय : संवेदनशीलता

छोटे लोगों के गुण का वर्णन करने वाला अन्य कोई नहीं मिलता, अतएव वह स्वयं ही उसे कहता है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere