
जो मायने रखता है वह आपकी त्वचा का रंग नहीं है, बल्कि वह शक्ति है जिसकी आप सेवा करते हैं और लाखों लोगों को धोखा देते हैं।

आत्मशुद्धि सबसे पहली चीज़ है, वह सेवा की अनिवार्य शर्त है।
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पराधीनता की ख़ास नींव अपने धर्म का नाश और दूसरे के धर्म की सेवा करने से पड़ती है।

पिता की सेवा अथवा उनकी आज्ञा का पालन करने से बढ़कर कोई धर्माचरण नहीं है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere