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चाँद पर कविताएँ

चाँद मनुष्य का आदिम

सहयात्री है जो रात्रि-स्याह के सुख-दुःख में उसका संगी-साथी हो जाता है। प्रेमिल बिंबों-प्रतीकों के साथ ही किसी कवि की ही कल्पना ने उसे देवत्व तक सौंप दिया है।

सफ़ेद रात

आलोकधन्वा

चाँद का मुँह टेढ़ा है

गजानन माधव मुक्तिबोध

हमसफ़र

सुधांशु फ़िरदौस

दो शहर एक रात

गौरव गुप्ता

चंदा मामा

आकिको हायाशी

चाँद का बच्चा

अफ़सर मेरठी

सुनहरे पहाड़

तादेऊष रूज़ेविच

शरद पूर्णिमा

अरमान आनंद

चाँद की वर्तनी

राजेश जोशी

चाँद झाँकता है

फेदेरीको गार्सिया लोर्का

आते हैं

पंकज चतुर्वेदी

चाँद पर नाव

हेमंत कुकरेती

चाँद पर

ओसिप कोलीशेव

डूबता चाँद कब डूबेगा

गजानन माधव मुक्तिबोध

श्रावण पूर्णिमा

राजेश सकलानी

चाँद

ध्यान सिंह

नशीला चाँद

हरिनारायण व्यास

चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

शमशेर बहादुर सिंह

कौन

बालस्वरूप राही

धूल, गंध और पतंगें

अशोक कुमार पांडेय

तुम चाँद हो

चंदन यादव

अगली सुबह

योगेंद्र गौतम

चंद्रोदय

श्रीनरेश मेहता

हसदेव

प्राची

जीवन का दृश्य

अमर दलपुरा

ख़्वाब

माधुरी

तुम देखना चाँद

जावेद आलम ख़ान

एक धुरी जिस पर

चित्रा सिंह

चाँद की आत्महत्या

सी. नारायण रेड्डी

माँ की एड़ियाँ

अपूर्वा श्रीवास्तव

चाँद और खच्चर

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

पूर्णमासी रात भर

शकुंत माथुर

चाँद

कुमार मंगलम

चाँद की आदतें

रघुवीर सहाय

समय की चाल

ऋतु त्यागी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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