Font by Mehr Nastaliq Web

अँधेरा पर कविताएँ

जाड़े की एक रात

टॉमस ट्रांसट्रोमर

लड़की की घड़ी

शिवांगी सौम्या

प्रेत लोक में

मक्सिम तान्क

अँधेरे में देखो

राजकुमार मधुवीर

क्रिया

शंख घोष

उज्जीवन

होमेन बरगोहाईं

सब कुछ नहीं अँधेरा

प्रतिभा शतपथी

मेनका : उजाला / अँधेरा

वीरभद्र कार्कीढोली

अँधेरा

श्रुति कुशवाहा

तुम्हारी याद

आशीष त्रिपाठी

आलिंगन

दाशरथि

अदालत तले अँधेरा

तृषान्निता

आधी रात

तृषान्निता

पूस की रात

आकांक्षा

जानकार

हरिओम राजोरिया

न हो सिद्धि, साधन तो है

मैथिलीशरण गुप्त

आइसोलेशन, एक कमरा

सौम्या सुमन

अँधेरी यात्रा

किशोर कल्पनाकांत

रात शोक में है

ममता जयंत

तलाश

अजय नेगी

एक शौक़

इंदिरा संत

अंधकार

मधुकांत कल्पित

मिस मारिया

सुरेंद्र स्निग्ध

विस्थापन

नीरज नीर

शाम

आकांक्षा

अरे, कोई तो...

जगदीश जोषी

लोक के लिए

जयंत शुक्ला

कटे-फटे अँधेरे

शोभा अक्षर

इश्तहार

गुलशन मजीद

वजूद

श्रीधर करुणानिधि

तिमिर

बी. गोपाल रेड्डी

माचिस खोजते हुए

गुरिंदर सिंह कलसी

मुझे जाना होगा

संजय शांडिल्य

इसीलिए

वीरभद्र कार्कीढोली

चापलूस

बबलदास चावड़ा

सिसकियाँ

सारिका सिंह

हँडे वाले

संजीव कौशल

टँगा हुआ समय

द्वारिका उनियाल

लालटेन

कौशल किशोर

पहली विमान यात्रा

लक्ष्मीकांत मुकुल

सर्वभोग्या/वैश्या

राजीव कुमार तिवारी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere