अँधेरा पर कविताएँ

प्रेत लोक में

मक्सिम तान्क

अँधेरे में देखो

राजकुमार मधुवीर

क्रिया

शंख घोष

उज्जीवन

होमेन बरगोहाईं

सब कुछ नहीं अँधेरा

प्रतिभा शतपथी

अँधेरा

श्रुति कुशवाहा

मेनका : उजाला / अँधेरा

वीरभद्र कार्कीढोली

आलिंगन

दाशरथि

अदालत तले अँधेरा

तृषान्निता

आधी रात

तृषान्निता

पूस की रात

आकांक्षा

तुम्हारी याद

आशीष त्रिपाठी

आइसोलेशन, एक कमरा

सौम्या सुमन

अँधेरी यात्रा

किशोर कल्पनाकांत

न हो सिद्धि, साधन तो है

मैथिलीशरण गुप्त

तलाश

अजय नेगी

एक शौक़

इंदिरा संत

अंधकार

मधुकांत कल्पित

मिस मारिया

सुरेंद्र स्निग्ध

शाम

आकांक्षा

विस्थापन

नीरज नीर

अरे, कोई तो...

जगदीश जोषी

कटे-फटे अँधेरे

शोभा अक्षर

इश्तहार

गुलशन मजीद

वजूद

श्रीधर करुणानिधि

तिमिर

बी. गोपाल रेड्डी

माचिस खोजते हुए

गुरिंदर सिंह कलसी

चापलूस

बबलदास चावड़ा

मुझे जाना होगा

संजय शांडिल्य

इसीलिए

वीरभद्र कार्कीढोली

हँडे वाले

संजीव कौशल

टँगा हुआ समय

द्वारिका उनियाल

सिसकियाँ

सारिका सिंह

लालटेन

कौशल किशोर

सर्वभोग्या/वैश्या

राजीव कुमार तिवारी

पहली विमान यात्रा

लक्ष्मीकांत मुकुल

असम के चाय बगान

लक्ष्मीकांत मुकुल

सफ़र

राहुल देहलवी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere