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प्रतीक्षा पर कविताएँ

प्रतीक्षा या इंतिज़ार

किसी व्यक्ति अथवा घटित के आसरे में रहने की स्थिति है, जहाँ कई बार एक बेचैनी भी अंतर्निहित होती है। यहाँ प्रस्तुत है—प्रतीक्षा के भाव-प्रसंगों का उपयोग करती कविताओं से एक अलग चयन।

इंतज़ार तुम्हारा

अंजुम शर्मा

वेश्याएँ

राजकमल चौधरी

उड़ानें

आलोकधन्वा

यादगोई

सुधांशु फ़िरदौस

याद

कैलाश वाजपेयी

उलझन

सुधांशु फ़िरदौस

हम और दृश्य

रूपम मिश्र

प्रेम का आगमन

अमित तिवारी

उगाए जाते रहे शहर

राही डूमरचीर

मैंने सिखा लिया अपने को

अन्ना अख्मातोवा

पीव बसे परदेस

नंद भारद्वाज

मेरी प्रतीक्षा

सुरजीत पातर

बस में

अंकुश कुमार

लौट-लौटकर

सुभाष मुखोपाध्याय

साँप

डी. एच. लॉरेंस

दीवार

ज़्बीग्न्येव हेर्बेर्त

हाशिए पर प्रतीक्षा

दर्शन बुट्टर

प्रश्न

पाब्लो नेरूदा

माँ को पत्र

सर्गेई येसेनिन

इस मौसम में

सारुल बागला

आठ सितंबर

पाब्लो नेरूदा

प्रतीक्षा न करो...

अलेक्सांद्र ब्लोक

घिरा हुआ उद्यान

एनरीक़ गोंज़ालेज़ मार्तिनेज़

मतलब वही है

यानिस रित्सोस

लंबी छुट्टियाँ

प्रदीप्त प्रीत

प्रतीक्षा

जगन्नाथ प्रसाद दास

कम से कम

जगन्नाथ प्रसाद दास

पीपल का पेड़

रमेश क्षितिज

विदाई

निकानोर पार्रा

प्रतीक्षा है

बोधिसत्व

आश्वासन

अमित तिवारी

पास की दूरी

आशुतोष प्रसिद्ध

प्रतीक्षा

मनोज कुमार झा

बुलावा

केहरि सिंह मधुकर

देखता हूँ

बोधिसत्व

अब और क्या?

सौरभ मिश्र

प्रतीति

श्रीनरेश मेहता

ढहे घर से

रुस्तम

प्रतीक्षा

सारुल बागला

प्रतीक्षा

सुघोष मिश्र

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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