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फ़िलिस्तीनी कविता पर कविताएँ

कविता की आत्मा

महमूद दरवेश

लड़की / चीख़

महमूद दरवेश

टेक एक ज़िंदगी की

महमूद दरवेश

उदासीन

महमूद दरवेश

बुत का हाथ

महमूद दरवेश

हुलिया

महमूद दरवेश

उसने उससे कहा

महमूद दरवेश

झेंपते हुए

महमूद दरवेश

आधे-अधूरे

महमूद दरवेश

शाल एक रेशमी

महमूद दरवेश

विलोम

महमूद दरवेश

दो अजनबी

महमूद दरवेश

नुक़्त-ए-नज़र

महमूद दरवेश

नीरो

महमूद दरवेश

हरी मक्खियाँ

महमूद दरवेश

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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