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आलोचक पर कविताएँ

आलोचना एक साहित्यिक

विधा है जो कृतियों में अभिव्यक्त साहित्यिक अनुभूतियों का विवेकपूर्ण विवेचन उपरांत उनका मूल्यांकन करती है। कर्ता को आलोचक कहते हैं और उससे रचनाकार के प्रति, कृति के प्रति और समाज के प्रति उत्तरदायित्वों के निर्वहन की अपेक्षा की जाती है। नई कविता में प्रायः कवियों द्वारा आलोचकों को व्यंग्य और नाराज़गी में घसीटा गया है।

आभार

पंकज चतुर्वेदी

अपने ही नाम

नवीन रांगियाल

नज़्र-ए-नामवर सिंह

कृष्ण कल्पित

आलोचक

पंकज चतुर्वेदी

समझदार आदमी

रामकुमार तिवारी

सिवाय कविता के

कमल जीत चौधरी

आलोचक

धूमिल

काट-छाँट

मैथिलीशरण गुप्त

आलोचक की कविता

कात्यायनी

छिपकलियाँ

विजया सिंह

समीक्षा

मुकुंद लाठ

आलोचना

निर्मला तोदी

हिंदी के सुमनों के प्रति पत्र

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere