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ग़रीबी पर कविताएँ

ग़रीबी बुनियादी आवश्यकताओं

के अभाव की स्थिति है। कविता जब भी मानव मात्र के पक्ष में खड़ी होगी, उसकी बुनियादी आवश्यकताएँ और आकांक्षाएँ हमेशा कविता के केंद्र में होंगी। प्रस्तुत है ग़रीब और ग़रीबी पर संवाद रचती कविताओं का यह चयन।

कौन जात हो भाई

बच्चा लाल 'उन्मेष'

पहाड़ पर लालटेन

मंगलेश डबराल

प्रार्थना

नवीन रांगियाल

ग़ायब लोग

आदर्श भूषण

आख़िरी रोटी

नेहा नरूका

सबसे ग़रीब आदमी की

विनोद कुमार शुक्ल

धार

अरुण कमल

पैसा पैसा

नवीन सागर

अमीरी रेखा

कुमार अम्बुज

मेरे अभाव में

अखिलेश सिंह

2020 में गाँव की ओर

विष्णु नागर

यहीं

अहर्निश सागर

अंतिम आदमी

राजेंद्र धोड़पकर

गाँव में सड़क

महेश चंद्र पुनेठा

बहनें

असद ज़ैदी

ख़तरा

कुमार अम्बुज

मकड़जाल

संदीप तिवारी

गुमशुदा

मंगलेश डबराल

जन-प्रतिरोध

रमाशंकर यादव विद्रोही

2020

संजय चतुर्वेदी

वो स्साला बिहारी

अरुणाभ सौरभ

संदिग्ध

नवीन सागर

मुहावरे

कविता कादम्बरी

पीठ

अमित तिवारी

वापस

विष्णु खरे

मक़सद

पीयूष तिवारी

थकन

सारुल बागला

दस के पाँच नोट

अतुल तिवारी

ग़रीबी

पाब्लो नेरूदा

नमक

सारुल बागला

महसूल

दवीद कुगुल्तिनोफ

हेमंती दिन

अलेक्सांद्र ब्लोक

मछली-बाज़ार में

युमनाम मंगीचंद्र

कामगार

ज्याँ आर्थर रम्बो

नया बग़दाद

सादी यूसुफ़

यहाँ इतनी कारें

मिक्लोश राद्नोती

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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