पेट्रोला पर कविताएँ

‘पेट्रोला’ का संदर्भ

प्रख्यात कहानीकार ज्ञानरंजन की एक बहुत मशहूर कहानी ‘घंटा’ से है। ‘हिन्दवी’ पर इस विषय के अंतर्गत हम कुछ ऐसी कविताओं की पहचान कर रहे हैं जिनमें एक प्रकार की अराजकता दृश्य होती है। इसे और समझने के लिए इस कहानी का पहला अनुच्छेद दर्शनीय है : 'पेट्रोला' काफी अंदर धँसकर था। दर्ज़ी की दुकान, साइकिल स्टैंड और मोटर ठहराने के स्थान को फाँदकर वहाँ पहुँचा जाता था। वह काफ़ी अज्ञात जगह थी। उसे केवल पुलिस अच्छी तरह जानती थी। हम लोग इसी बिल्कुल दुकड़िया जगह में बैठने लगे थे यहाँ जितनी शांति और छूट थी, अन्यत्र दुर्लभ है। हमें यहाँ पूरा चैन मिलता था। ‘पेट्रोला' ऐसी जगह थी जिससे नागरिकों को कोई सरोकार नहीं था। जहाँ तक हम लोगों का प्रश्न है, हमारी नागरिकता एक दुबले हाड़ की तरह किसी प्रकार बची हुई है। उखड़े होने के कारण लग सकता था, समय के साथ सबसे अधिक हम हैं; लेकिन हक़ीक़त यह है कि बैठे-बैठे हम आपस में ही फुफकार लेते हैं, हिलते नहीं हैं। हमारे शरीर में लोथड़ों जैसी शांति भर गई है। नशे की वजह से कभी-कभार थोड़ा-बहुत ग़ुस्सा बन जाता है और आपसी चिल्ल-पों के बाद ऊपर आसमान में गुम हो जाता है। इस नशे की स्थिति में कभी ऐसा भी लगता है, हम सजग हो गए हैं। उद्धार का समय आ गया है और भेडिया-धसान पूरी तरह पहचान लिया गया है। लेकिन हम लोगों के शरीर में संत मलूकदास इस कदर गहरा आसन मारकर जमे हुए थे कि भेड़िया-धसान हमेशा चालू रहा।

प्रेमिकाएँ

अखिलेश सिंह

बचपन से लिंग अब तक

उस्मान ख़ान

बेघर

सुधांशु फ़िरदौस

प्रतिज्ञा

कुशाग्र अद्वैत

कवि

महेंद्र भल्ला

मरीज़ का नाम

उस्मान ख़ान

मुझसे पूछेंगे

रवि प्रकाश

अनुशासन

सुघोष मिश्र

कुछ नहीं होऊँगा

अखिलेश सिंह

गीत लिखना

अखिलेश सिंह

अतिशयोक्तिपूर्ण

उस्मान ख़ान

चित्र

रवि प्रकाश

मनः स्थिति

रवि प्रकाश

बहिष्करण

सुघोष मिश्र

कहता हूँ

रवि प्रकाश

निष्कृत

मोना गुलाटी

ऑनर किलिंग

अविनाश मिश्र

क़तई राजनैतिक

उस्मान ख़ान

सब सो गए हैं

अखिलेश सिंह

कपाल-क्रिया

मोना गुलाटी

अंतरंग के लिए

मोना गुलाटी

नीला पक्षी

अखिलेश सिंह

अस्वीकृति

मोना गुलाटी

स्नेस्वेकतोय

मोना गुलाटी

आलोड़न

मोना गुलाटी

वह व्यापार

महेंद्र भल्ला

गिरफ़्त

मोना गुलाटी

अंदर या बाहर

सुधांशु फ़िरदौस

13 जनवरी 78

मोना गुलाटी

शिनाख़्त-1

मोना गुलाटी

परित्यक्त

मोना गुलाटी

मैं भूक रहा हूँ

अखिलेश सिंह

उतना ही

रवि प्रकाश

अवशेष

मोना गुलाटी

ख़ानाबदोश

आयुष झा

निर्बंध

मोना गुलाटी

महाभिनिष्क्रमण

मोना गुलाटी

षड्यंत्र के मध्य

मोना गुलाटी

संलाप

मोना गुलाटी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere