संवाद पर कविताएँ

भादों की संध्या का जब

कृष्ण मुरारी पहारिया

आंबेडकर

बी. गोपाल रेड्डी

मेरी कविताएँ आजकल

वीरभद्र कार्कीढोली

दुखित मलय

गोपालकृष्ण रथ

जी भर बात

रामाज्ञा शशिधर

अपना अहंकार तुम गाते रहे रात भर

कृष्ण मुरारी पहारिया

एक और बात

अखिलेश सिंह

मन से मन

राजकुमार केसवानी

इंतिज़ार

बेबी शॉ

निर्जन किनारे पर

वसंत आबाजी डहाके

पिता

भागीरथी मिश्र

तुमने जीवन तो लिया लेकिन...

वीरभद्र कार्कीढोली

बातों का प्रेम

पूनम सोनछात्रा

रहमान का स्वगत कथन

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

सन्नाटा

जगन्नाथ प्रसाद दास

पटकथा

पी. विठ्ठल

मिट्टी का गाना

कुसुमाग्रज

संवाद

मोना गुलाटी

रहमान तूने बहुत देर कर दी

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

तुम्हारी ईश्वरीय दुनिया में

वीरभद्र कार्कीढोली

शील ही है मूल द्रव्य

ज्ञानेंद्रपति

संवादहीनता

कुमार मंगलम

प्रेम-4

राम जन्म पाठक

इति दृश्यम

अखिलेश सिंह

सलमा-3

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

वह शाम : वह बड़ का पेड़

वीरभद्र कार्कीढोली

सलमा पानी पर प्रतिबिंब

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

संवाद

परमिंदर सोढ़ी

भोर होते न होते

शुभेंदु मुंड

तुम

हर्षदेव माधव

पुष्प की भाषा

हर्षदेव माधव

भाटा के किनारे पर

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

यहीं कहीं

मनमोहन

सलमा-5

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

मैंने कौन-सी अफ़ीम खा ली है

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

तुम परीक्षा बनकर आई

वीरभद्र कार्कीढोली

संवाद

कमल जीत चौधरी

संवाद

कुमार मंगलम

चुप्पी और संवाद

रुचि बहुगुणा उनियाल

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere