लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई : विनाशकारी भविष्य की आहटों को सुनने वाला लेखक
जॉर्ज सिर्टेश
10 नवम्बर 2025
लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले दूसरे हंगेरियन लेखक हैं। उनसे पहले यह सम्मान दिवंगत इमरे केर्तेश (Imre Kertész) (1929 –2016) को मिला था, जिनकी हंगरी के बाहर सबसे प्रसिद्ध पुस्तक ‘फ़ेटलेसनेस’ (Fatelessness) (2002) है। यह पुस्तक उनके पंद्रह वर्षीय ‘स्व’ के उस अनुभव का वर्णन है, जब वह आउशविट्ज़ (Auschwitz) शिविर में क़ैदी थे। जब अंततः वह वहाँ से बाहर निकलते हैं और घर लौटते हैं, तो पाते हैं कि कोई भी वास्तव में यह नहीं समझता कि उनके साथ क्या ‘घटित’ हुआ—या फिर अब तक क्या ‘घटित’ हुआ था। वो उस स्थिति में अपने को पाते हैं, जब शब्द अपने सामान्य अर्थों से अलग हो चुके हैं।
इमरे केर्तेश की यह पुस्तक साठ के दशक के किसी समय लिखी गई थी, लेकिन इसका प्रकाशन 1975 तक संभव नहीं हो पाया। नोबेल पुरस्कार उन्हें वर्ष 2002 में मिला—यानी पुस्तक के हंगेरियन भाषा में प्रकाशन के सत्ताईस वर्ष बाद, और इसके पहले संभव हुए अँग्रेज़ी अनुवाद (1992) के दस वर्ष बाद। दो वर्ष बाद महत्त्वपूर्ण अनुवादक टिम विल्किन्सन (Tim Wilkinson) (1947-2020) द्वारा इसका हंगेरियन से अँग्रेज़ी में एक और बेहतर अनुवाद आया। तब तक केर्तेश की हंगेरियन रचनाएँ बदल चुकी थीं। ‘फ़ेटलेसनेस’ की साफ़, खुली और सरल गद्य-शैली की जगह अब एक अधिक सघन, जटिल लेखन ने ले ली थी—ऐसा लेखन जो उनके अनुभवों की जटिलता, आघात और विरोधाभास के साथ न्याय कर सके।
लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई की पहली और उस समय उनकी धारणा के अनुसार, संभवतः अंतिम पुस्तक ‘सातानटैंगो’ (Satantango) वर्ष 1985 में प्रकाशित हुई, जब उनकी उम्र मात्र तीस वर्ष थी। इसके तुरत बाद उनकी दो लघु उपन्यासिकाएँ (novellas) आईं और फिर उन उपन्यासों की शृंखला जिनसे वह सर्वाधिक प्रसिद्ध हुए। आज वह इकहत्तर वर्ष के हैं, इसलिए इमरे केर्तेश की तरह ही उन्हें मिला यह नोबेल पुरस्कार उनके जीवन में काफ़ी देर से आया है—जैसा अक्सर नोबेल पुरस्कारों के साथ होता है। सैटानटैंगो (Satantango) का पहला जर्मन अनुवाद बेहद सफल रहा, लेकिन उनका अगला मुकम्मल उपन्यास ‘द मेलन्कॉली ऑफ़ रेसिस्टेंस’ (The Melancholy of Resistance) (1989) था, जिसने जर्मनी में बेस्टेनलिस्टे पुरस्कार (Bestenliste Prize) जीता और जिसे 1998 में पहली बार अँग्रेज़ी में अनूदित किया गया।
लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई का परिचय इंग्लैंड और अमेरिका में अपेक्षाकृत छोटे स्तर पर हुआ। पुस्तक को समीक्षकों से सराहना तो मिली, पर अधिकांश समीक्षाएँ संक्षिप्त थीं। फिर भी, उनके लिए एक प्रतिष्ठा बन चुकी थी—विशेष रूप से उन पाठकों के बीच, जिन्हें कभी ‘सूक्ष्म या विवेकपूर्ण पाठक’ कहा जाता था। इसके बाद ‘वॉर एंड वॉर’ (War and War) 1999 में प्रकाशित हुई, जिसका अँग्रेज़ी अनुवाद 2006 में आया। और फिर 2012 में उनकी निर्णायक और व्यापक पहचान स्थापित करने वाली कृति ‘सैटानटैंगो’ (Satantango) का अँग्रेज़ी अनुवाद सामने आया।
लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई की प्रतिष्ठा में ‘सातानटैंगो’ (Satantango) की भूमिका शायद उसी तरह देखी जा सकती है, जैसे 2001 में जर्मन लेखक डब्ल्यू. जी. सेबाल्ड (W. G. Sebald, 1944–2001) के निधन के वर्ष में ‘ऑस्टरलिट्ज़’ (Austerlitz) की भूमिका थी। यही वह समय था जब अँग्रेज़ी भाषी दुनिया में उनकी प्रशंसा की बाढ़ आई और दोनों ही मामलों में इस प्रवाह का नेतृत्व प्रसिद्ध अमेरिकन लेखिका और चिंतक सूसन सौन्टैग (Susan Sontag) (1933 –2004) और ब्रिटिश आलोचक जेम्स वुड (James Wood) ने किया।
यहाँ तक की, सेबाल्ड ने 1998 में ‘द मेलन्कॉली ऑफ़ रेसिस्टेंस’ (The Melancholy of Resistance) के लिए संक्षिप्त ब्लर्ब (blurb) भी लिखा था। उन्होंने लिखा : “यह किताब एक ऐसी दुनिया के बारे में है, जिसमें लेवियाथन (Leviathan) (विशाल और भयावह शक्ति/स्थिति) पुनः लौट आया है। इसकी दृष्टि की सार्वभौमिकता निकोलाई गोगोल (Nikolai Gogol) (1809-1852) की ‘डेड सोल्स’ (Dead Souls) (1842) के समानांतर है और समकालीन लेखन की सभी छोटे-मोटे विषयों से कहीं अधिक व्यापक और गहन है।”
सेबाल्ड और क्रास्ज़्नाहोरकाई, दोनों मध्य शताब्दी के सबसे महत्त्वपूर्ण यूरोपीयन लेखक हैं, और उनमें दुनिया के प्रति एक उदासी भरी भावना साझा थी, जो लगभग निराशा की सीमा तक जाती है। मैंने इन दोनों लेखकों को ‘द मेलन्कॉली ऑफ़ रेसिस्टेंस’ (The Melancholy of Resistance ) के प्रकाशन के ठीक बाद ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय (University of East Anglia-UEA) में एक-दूसरे से मिलवाया, जब क्रास्ज़्नाहोरकाई एक शृंखला पाठन (series of readings) और चर्चाओं के लिए आए थे। उस समय वह अँग्रेज़ी में सहज नहीं थे और हम दोनों एक तरह की हास्यपूर्ण संवाद शैली विकसित कर रहे थे, जो समय-निर्धारण में लगभग कॉमिक हो जाती थी। बहुत कम लोग उनके लेखन में हास्य की अनुभूति (sense of humour) पर ध्यान देते हैं, जैसा कि सेबाल्ड में भी कम ही है, लेकिन यह वहाँ मौजूद है, जैसा मैं बाद में दिखाने की कोशिश करूँगा।
हालाँकि ‘सातानटैंगो’ (Satantango) क्रास्ज़्नाहोरकाई के करियर में पहली थी, पर इसके अँग्रेज़ी अनुवाद में प्रकाशित होने के बाद ऐसा प्रतीत हुआ मानो क्रास्ज़्नाहोरकाई के हंगरी-केंद्रित उपन्यासों का अंत हो गया हो। उस समय तक, उनका काम हंगरी के महत्त्वपूर्ण फ़िल्म निर्देशक बेला टार्र (Béla Tarr) के साथ भी निकटता से जुड़ा हुआ था, जिनके साथ उन्होंने सात फ़िल्मों की शृंखला में पटकथा लेखक के रूप में काम किया, जिनमें ‘सातानटैंगो’ (Satantango), ‘द वेरकमेस्टर हार्मोनिज़’ (The Werckmeister Harmonies) (जो ‘द मेलन्कॉली ऑफ़ रेसिस्टेंस’ पर आधारित थी) और ‘द ट्यूरिन हॉर्स’ (The Turin Horse) शामिल हैं।
बेला टार्र (Béla Tarr) की फ़िल्में, क्रास्ज़्नाहोरकाई की किताबों की तरह, एक अलग परंतु समर्पित प्रशंसक समूह के बीच लोकप्रिय हुईं, क्योंकि फ़िल्मों की लंबाई और गति के साथ-साथ सुंदर, पर अत्यंत संयमित ब्लैक एंड व्हाइट सिनेमॅटोग्राफी शैली ने फ़िल्मांकन में किताबों के साथ समतुल्यता स्थापित किया। ‘सातानटैंगो’ (Satantango) लगभग सात घंटे पच्चीस मिनट लंबी है। ‘द वेरकमेस्टर हार्मोनिज़’ (The Werckmeister Harmonies), हालाँकि किताब की कथा का एक हिस्सा काट देती है, लगभग ढाई घंटे लंबी है। अगर जर्मन लेखक डब्ल्यू. जी. सेबाल्ड (W. G. Sebald, 1944–2001) ज़िंदा होते तो शायद कहते कि लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई और बेला टार्र (Béla Tarr) ने एक संयुक्त लेवियाथन (Leviathan) (विशालकाय प्राणी) का निर्माण किया है।
क्रास्ज़्नाहोरकाई की दुनिया फ़िल्मों की नहीं, बल्कि शब्दों की है—लगभग अनंत वाक्यों और अनंत अनुच्छेदों की। कभी-कभी केवल एक वाक्य या एक अनुच्छेद ही पर्याप्त होता है। पन्ने धीरे-धीरे एक-दूसरे में बहते चले जाते हैं और गद्य की जटिलता तथा गति अपनी धीमी, अनवरत चाल में पाठक को अभिभूत कर देती है—ठीक वैसे ही जैसे लावा अनिवार्य रूप से भूमि पर फैलता है।
‘सातानटैंगो’—सोवियत साम्राज्य के अंतिम दम तोड़ते वर्षों में प्रकाशित हुआ—एक ऐसा साम्राज्य जो कठोर और भ्रष्ट था और ऐसा प्रतीत होता था कि यह अनंत काल तक चलता रहेगा। इसे समझना एक विशाल कार्य था। क्रास्ज़्नाहोरकाई के प्रमुख हंगेरियन समकालीन लेखक, पीटर नादास (Péter Nádas) और पीटर एस्ज़्टर्हाजी (Péter Eszterházy) (1950 –2016) ने इसे अपने-अपने तरीक़े से पकड़ने और आवाज़ देने का प्रयास किया : नादास ने यह काम स्मृति और अनुभव को बढ़ाकर किया (नादास की ‘ए बुक ऑफ़ मेमोरीज़’ (A Book of Memories, 1986) में नौ-पृष्ठों में फैले चुंबन के दृश्य को कौन भूल सकता है!) और एस्ज़्टर्हाजी ने भाषा के साथ कई दिलचस्प पोस्टमॉडर्निस्ट साहसिक प्रयोग किए। बीसवीं शताब्दी में मध्य यूरोपीय चेतना पर असंगति (absurdity), अस्थिरता (instability) और निराशा (despair) की छाया गहराई तक छाई रही है—और क्रास्ज़्नाहोरकाई की अपनी आंतरिक प्रांतीय दुनिया भी उसी गहराई में उतरती है।
‘सातानटैंगो’ की पृष्ठभूमि एक मरणासन्न सहकारी कृषि समुदाय है—एक पिछड़ी हुई समाजव्यवस्था, जहाँ आशा और मनोरंजन के नाम पर केवल एक शराबख़ाना बचा है और वहीं पर इस उपन्यास के शीर्षक में उल्लेखित नशे में डूबी टैंगो नृत्य (Tango Dance) की कई रातें घटित होती है। ‘द मेलन्कॉली ऑफ़ रेज़िस्टेंस’ की कथा भी लगभग इसी परिवेश में स्थित है, लेकिन यह किसी गाँव के बजाय एक छोटे से क़स्बे में घटित होती है। यहाँ तानाशाही (authoritarianism) की विकराल शक्ति का सामना अराजकता और विनाश की उतनी ही भयानक शक्ति से होता है—जिसका प्रतीक है एक विशाल मृत व्हेल (whale), जिसे क़स्बे के मुख्य चौक में प्रदर्शनी के रूप में रखा गया है। ‘वार एंड वार’ इससे भिन्न है। इसकी शुरुआत एक जर्जर होते शहर से होती है, जहाँ एक प्रदर्शनी प्रबंधक (curator) को एक रहस्यमय पांडुलिपि मिलती है। इस पांडुलिपि की खोज उसे अराजक और ख़तरनाक न्यूयॉर्क शहर, फिर जर्मनी के पश्चिम में स्थित एक प्रमुख मध्ययुगीन शहर कोलोन, और उसके बाद स्विट्ज़रलैंड तक ले जाती है। उस अर्थ या सत्य की तलाश में, जिसे वह पांडुलिपि समेटे हुए है। लेकिन जहाँ भी वह जाता है, विनाश उसकी छाया बनकर उसका पीछा करता है।
क्रास्ज़्नाहोरकाई के लेखन से गुज़रते हुए यह बात समझने में देर नहीं लगती कि उनके ऊपर फ़्योदोर दोस्तोयेवस्की (Fyodor Dostoevsky) (1821–1881), निकोलाई गोगोल (1809–1852), फ्रांत्स काफ़्का (1883–1924) और थोड़ा-सा रॉबर्ट वाल्सर (1878–1956) तथा थॉमस बर्नहार्ड (1931–1989) का प्रभाव है—यही वह ऐतिहासिक और मनोवैज्ञानिक भूमि है, जहाँ से क्रास्ज़्नाहोरकाई अपनी मौलिक, विराट और विशिष्ट रचनात्मक संरचनाओं के साथ उभरते हैं। उनकी कृतियों का केंद्रीय विषय है—स्व, समाज, और यहाँ तक कि ब्रह्मांड के भौतिक शरीर का धीमा, अनिवार्य विघटन (disintegration)। यह संघर्ष केवल उनके उपन्यासों में ही नहीं, बल्कि उनके लघु उपन्यासों, कहानियों और अन्य लेखनों, जैसे ‘एनिमल इनसाइड’ (Animalinside) (2011), ‘द लास्ट वुल्फ़’ (The Last Wolf) (2016), ‘हर्मन’ (Herman) (2016), ‘द बील’ (The Bill) (2013) आदि—में भी जारी है। ये सभी रचनाएँ एक ही अपोकैलिप्टिक ब्रह्मांड (‘विनाशकारी भविष्य की आशंका’) का हिस्सा हैं, जो अपने अंतिम क्षय की अवस्था में पहुँच चुका है—और इसी कारण प्रसिद्ध अमेरिकन लेखिका और चिंतक सूसन सौन्टैग ने उन्हें ‘प्रलय का उस्ताद’ (the master of the Apocalypse) कहा था।
फिर भी, ‘वार एंड वार’ में और उसके बाद की वे पुस्तकें जिन्हें ऑटिली मुल्ज़ेट (Ottilie Mulzet) तथा जॉन बाट्की (John Batki) ने अनुवाद किया, इन किताबों में एक गुप्त व्यवस्था (secret world of order) की खोज का प्रयास दिखाई देता है। यह खोज ‘वार एंड वार’ में उस रहस्यमय पांडुलिपि में मौजूद है, जिसे अभिलेखपाल (archivist) पढ़ता है; और ‘द मेलन्कॉली ऑफ़ रेज़िस्टेंस’ में एस्टर, जो संगीत का बड़ा विद्वान है, उस अव्यवस्थित संसार में पूर्ण और प्राकृतिक स्वर-सामंजस्य (perfect natural tuning) की तलाश करता है। ‘सातानटैंगो’ के प्रकाशन के बाद एक बातचीत में—जिसके कुछ समय बाद, अत्यधिक थकान के कारण, मैंने क्रास्ज़्नाहोरकाई की लंबी किताबों का अनुवाद करना बंद कर दिया और यह कार्य उनकी वर्तमान अनुवादक ऑटिली मुल्ज़ेट ने सँभाल लिया—मैंने लास्ज़लो से पूछा, “अब आगे क्या?” उन्होंने उत्तर दिया—वह एक ऐसी किताब लिखना चाहते हैं, जिसमें कोई मानवीय पात्र ही न हो।
एक अधिक सामंजस्यपूर्ण और लगभग मनुष्यों से रहित विश्व की रचना का प्रयास क्रास्ज़्नाहोरकाई ने पहली बार 2003 में व्यक्त किया था—अपनी पुस्तक ‘A Mountain to the North, a Lake to the South, Paths to the West, a River to the East’ में, जिसका अँग्रेज़ी अनुवाद बीस वर्ष बाद, 2023 में प्रकाशित हुआ। आंशिक रूप से मेरी थकान के कारण यह विलंब हुआ, बाद में इस पुस्तक के अनुवाद को उनकी नई और विलक्षण अनुवादक ऑटिली मुल्ज़ेट को सौंपा गया। यह पुस्तक जापान में स्थित है और क्रास्ज़्नाहोरकाई की अब तक की सबसे शांत (serene) कृति मानी जाती है। इसमें वह लगभग मानवीय पात्रों को हटा देने में सफल होते हैं, और इसके बजाय ध्यान केंद्रित करते हैं—क्योटो (Kyoto) के एक बौद्ध विहार (monastery) के उद्यान पर। यहाँ भी कभी-कभी पशुओं की मृत्यु जैसे कुरूप व्यवधान (ugly disruptions) हैं, परंतु पूरी किताब लगातार धरती की गहराई (subsoil) और अनंतता (eternity) की खोज में लगा है। इसके बाद आई पुस्तक ‘Seiobo There Below’ (2008)—जो आपस में जुड़ी हुई कहानियों का एक संग्रह है—इस पूर्णता (perfection) की तलाश को आगे बढ़ाती है, जहाँ विभिन्न कलाकार अपने-अपने सृजन-कौशल के माध्यम से उसे प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। फिर आती है ‘Baron Wenckheim’s Homecoming’ (हंगेरियन में 2016, अँग्रेज़ी अनुवाद 2019), जो क्रास्नाहोरकाई के हंगरी-केंद्रित रचना चक्र की पूर्णता का प्रतीक है। उनके अपने शब्दों में—“इस उपन्यास के साथ मैं सिद्ध कर सकता हूँ कि मैंने वास्तव में अपने जीवन में केवल एक ही पुस्तक लिखी है। यही वह पुस्तक है—‘सातानटैंगो’, ‘मेलन्कॉली’, ‘वार एंड वार’, और ‘बैरन’। यही मेरी एकमात्र किताब है।”
‘Baron Wenckheim’s Homecoming’ में, जैसे ‘द मेलन्कॉली ऑफ़ रेज़िस्टेंस’ में एस्टर था, वैसे ही एक पात्र है बैरन, जो स्वयं को संसार से पूरी तरह अलग करने की चाह में एक अस्पष्ट और कठिन अध्ययन-क्षेत्र में डूब जाता है। अँग्रेज़ी में उनकी नवीनतम अनूदित कृति Herscht 07769 (2024) अपेक्षाकृत अधिक रोमांचक है—इसमें एक अपराधी की कथा है जो जर्मनी के महान् संगीतकार योहान सेबेस्टियन बाख (Johann Sebastian Bach) (1685-1750) के प्रति जुनूनी है। क्रास्ज़्नाहोरकाई के वाक्यों को देखते हुए यह स्वाभाविक ही लगता है कि पूरी कहानी एक ही लंबी, अविराम वाक्य में घटित होती है।
उनके अपने कथन के अनुसार, क्रास्ज़्नाहोरकाई के समूचे लेखन का केंद्र वास्तव में एक ही पुस्तक है — जो चार पुस्तकों से मिलकर बनी है। यह उनकी वह दृष्टि है जिसमें दुनिया एक भ्रष्ट और विनाशोन्मुख अस्तित्व के रूप में दिखाई देती है—जो अपने अपरिहार्य अंत की ओर लुढ़कती चली जा रही है। फिर भी, इस विनाश की यात्रा में एक अटल भव्यता (undeniable majesty) है—शायद यही वह तत्व है, जिसने अंततः उन्हें नोबेल पुरस्कार तक पहुँचाया।
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अँग्रेज़ी से अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र
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