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मौन पर कविताएँ

हम अब कुछ देर

विनोद कुमार शुक्ल

हाँ और ना

मर्गारीता अलिगेर

मृत्यु-भय

जॉन एशबेरी

चुपचाप संसार

जैफ़री मैकडेनियल

जो मौन हैं

नवनीत पांडे

वक़्त आ गया है

डेनिस ब्रूटस

कुछ पेड़

जॉन एशबेरी

मतलब वही है

यानिस रित्सोस

चुप लड़की

गाब्रियल ओकारा

मौन

उमा भगत

अतिक्रमण

प्रदीप अवस्थी

मौन में मायने

निधीश त्यागी

एक अप्रत्याशित भेंट

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

चुप रहिए

राम जन्म पाठक

मौन में

राजेन्द्र शाह

साँवली ख़ामोशी

विजय बहादुर सिंह

मृत्यु

महिमा कुशवाहा

पुरानी ख़ामोशी

दिलीप शाक्य

चुप्पी

आशीष यादव

शब्द

उमाशंकर जोशी

इलाहाबाद के हवाले से

राहुल द्विवेदी

कहीं तो फूटो

नंदकिशोर आचार्य

अनाहत नीरवता के नग्न लोक में

वीरेंद्र कुमार जैन

किंतु वे ख़ामोश रहे

शिवमंगल सिद्धांतकर

राजा अगर रोता है

चंद्रेश्वर

आज टूटा मौन, मन कुछ गा रहा है

कृष्ण मुरारी पहारिया

चुप्पी और संवाद

रुचि बहुगुणा उनियाल

घना पल

निधीश त्यागी

जाती हुई माँ

सुधा उपाध्याय

मौन

उमाशंकर जोशी

भरपेट भूखा

सुधा उपाध्याय

निःशब्द प्रेम

चंद्रकुमार

रसिका

नित्यानंद गायेन

यूँ सोते-जागते

द्वारिका उनियाल

महनीय मौन

अर्पण कुमार

बैठ गई

प्रमोद बेड़िया

उनकी चुप

प्रतिभा कटियार

मौन पर एक नज़रिया

मुसाफ़िर बैठा

मौन

प्रतिभा चौहान

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere