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मौन पर कविताएँ

हम अब कुछ देर

विनोद कुमार शुक्ल

जो मौन हैं

नवनीत पांडे

वक़्त आ गया है

डेनिस ब्रूटस

मृत्यु-भय

जॉन एशबेरी

चुपचाप संसार

जैफ़री मैकडेनियल

स्विच

शुन्तारो तानीकावा

हाँ और ना

मर्गारीता अलिगेर

मेरी साँस को तुम आए

गुन्नार ब्योरलिंग

गूँगापन

बेला अख़्मादूलीना

चुप्पी ऐसी

ओसिप मंदेलश्ताम

वार्तालाप

ख़लील जिब्रान

सूर्यास्त

हुआन रामोन हिमेनेज़

सच्ची कोमलता

अन्ना अख्मातोवा

कुछ पेड़

जॉन एशबेरी

मतलब वही है

यानिस रित्सोस

याद

यूजें गिलविक

उदास नग़्मा

अहमद शामलू

चुप लड़की

गाब्रियल ओकारा

मौन

उमा भगत

अतिक्रमण

प्रदीप अवस्थी

मौन में मायने

निधीश त्यागी

मौन पर

आलेहांद्रा पिज़ारनीक

एक अप्रत्याशित भेंट

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

चुप रहिए

राम जन्म पाठक

मौन में

राजेन्द्र शाह

साँवली ख़ामोशी

विजय बहादुर सिंह

मृत्यु

महिमा कुशवाहा

मोन

रामदेव झा

पुरानी ख़ामोशी

दिलीप शाक्य

अखुनका आदमी

रोशन जनकपुरी

बाँसुरी के लिए

सुल्तान अहमद

विषवृक्ष और तुम

सुल्तान अहमद

नमक का ढेर

शोभा अक्षर

पिता

कामिनी

शब्द

उमाशंकर जोशी

इलाहाबाद के हवाले से

राहुल द्विवेदी

चुप्पी

आशीष यादव

अनाहत नीरवता के नग्न लोक में

वीरेंद्र कुमार जैन

किंतु वे ख़ामोश रहे

शिवमंगल सिद्धांतकर

कहीं तो फूटो

नंदकिशोर आचार्य

राजा अगर रोता है

चंद्रेश्वर

आज टूटा मौन, मन कुछ गा रहा है

कृष्ण मुरारी पहारिया

भरपेट भूखा

सुधा उपाध्याय

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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