साहित्य और संस्कृति की घड़ी
अप्रत्याशित हमेशा भय के भार तले दबा रहता है। नहीं घटने की इच्छा के साथ अदृश्य, जिसे हमेशा दूर से ही न कह दिया जाए। रोकथाम के लिए शरीर हरदम चौकन्ना रहता है। क़रीने से हर छोटी-बड़ी तैयारी की जाती है। ख़
जब भी मैं किसी थके हुए आदमी को देखती हूँ, जिसकी गर्दन पर पसीने से भीगा गमछा रखा होता है, मुझे सोबरन कक्का याद आते हैं। उनके माथे का पसीना उसी में उतरता, खेत की मिट्टी उसी से झाड़ी जाती और जब वह चुप ह
02 नवम्बर 2025
भरतपुर की वह दुपहर साहित्य की ऊष्मा से भरी हुई थी। हवा में हल्की गर्मी थी, लेकिन सभा-गृह के भीतर विचारों की शीतल छाया पसरी हुई थी। देश का स्वतंत्रता-संग्राम अपने चरम पर था और साहित्यकार इस संघर्ष के
सवेरा कमरे में पसर गया था इसलिए हमें उठना पड़ा। कमरे का दरवाज़ा खुलते ही बालकनी शुरू हो जाती, जहाँ से मंदिर का शिखर दिखता जो गली के उस तरफ़ पार्क के दक्षिणी छोर पर था, जिसमें संघ की शाखा लगती। हम बाल
कहा गया है कि इंसान दो दुनियाओं में जीता है-अंदरूनी और बाहरी। अंदरूनी दुनिया अध्यात्म की दुनिया होती है जिसे वो किसी तरह की कला जैसे कि साहित्यिक लेखन, नृत्य, संगीत, चित्रकारी, स्थापत्य या मुजस्समे आ
सिट्रीज़ीन—वह ज्ञान के युग में विचारों की तरह अराजक नहीं है, बल्कि वह विचारों को क्षीण करती है। वह उदास और अनमना कर राह भुला देती है। उसकी अंतर्वस्तु में आदमी को सुस्त और खिन्न करने तत्त्व हैं। उसके स
मेरी मातृभाषा भोजपुरी है। मेरी पैदाइश, परवरिश और तरबियत सब भोजपुरी के भूगोल में हुई है। मैं सोचता भोजपुरी में हूँ; मुझे सपने भोजपुरी में आते हैं। सपने में जब बड़बड़ाता हूँ तो वह भी भोजपुरी में ही होत
कभी-कभी मेरे मन में एक दृश्य उतरता है। दृश्य—घनघोर बारिश का। चारों तरफ़ पानी-ही-पानी। मैं अकेले किसी वृक्ष के नीचे बैठा हुआ हूँ और कोई पद सुन रहा हूँ—कोई सूफ़ी-संगीत। मुझे आश्चर्य होता है कि जब-तब मै
धूप इतनी तीखी थी कि मेरी गर्दन पर पसीने की बूँदें काँटों की तरह निकल आई थीं, लेकिन में उसकी आँखों से झरती ओस में राहत महसूस कर रहा था। उसने कहा—मैंने तुम्हारे इन पत्रों को बार-बार पढ़ा। ना जलाने की
28 अक्तूबर 2025
कितना दारुण है यह लिखना—स्वर्गीय भारतेंदु मिश्र। मैं उन्हें दद्दा कहता रहा हूँ। अब दद्दा स्मृतियों में रहेंगे, उनकी आत्मीयताओं का बतरस कानों में बजता रहेगा, उनकी कविताओं की पंक्तियाँ वजह-बे-वजह मस्ति
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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