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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

08 सितम्बर 2025

‘ऋषिकेश : नदी के नगर का नागरिक होना’

‘ऋषिकेश : नदी के नगर का नागरिक होना’

शहर हम में उतने ही होते हैं, जितने हम शहर में होते हैं। ऋषिकेश मेरे लिए वक़्त का एक हिस्सा है। इसकी सड़कों, गलियों, घाटों और मंदिरों को थोड़ा जिया है। जीते हुए जो महसूस होता है, वही तो जीवन का अनुभव ह

07 सितम्बर 2025

बिंदुघाटी : गुदरिया गले में डारे भरथरी

बिंदुघाटी : गुदरिया गले में डारे भरथरी

• किंवदंतियों, जनश्रुतियों और विद्वानों के विवरणों में विशद उपस्थिति रखने वाले भर्तृहरि राजा थे या ऋषि! कवि थे या वैयाकरण! योगी थे या भोगजीवी सांसारिक... या फिर इन सबको समाहित किए पूरी भारतीय मनीषा म

06 सितम्बर 2025

शब्दचित्र : रेखा चाची और मेरी माँ

शब्दचित्र : रेखा चाची और मेरी माँ

आरुष मिश्र, सरदार पटेल विद्यालय, नई दिल्ली में कक्षा दसवीं में पढ़ने वाले किशोर हैं। पिछले वर्ष जब वह कक्षा नवीं में थे तो गर्मी की छुट्टियों में उनकी कक्षा को हिंदी विषय में एक कार्य मिला था। उसमें

05 सितम्बर 2025

अपने माट्साब को पीटने का सपना!

अपने माट्साब को पीटने का सपना!

इस महादेश में हर दिन एक दिवस आता रहता है। मेरी मातृभाषा में ‘दिन’ का अर्थ ख़र्च से भी लिया जाता रहा है। मसलन आज फ़लाँ का दिन है। मतलब उसका बारहवाँ। एक दफ़े हमारे एक साथी ने प्रभात-वेला में पिता को जाकर

04 सितम्बर 2025

कुत्ते आदमी की तरह नहीं रोते थे, आदमी ही कुत्तों की तरह रोते थे

कुत्ते आदमी की तरह नहीं रोते थे, आदमी ही कुत्तों की तरह रोते थे

मैं बस में बैठा देख रहा था कि सारे लोग धीरे-धीरे जाग रहे थे। बड़ी अदालत ने राजधानी की सड़कों पर से आवारा कुत्तों को शहर से हटाने का फ़रमान जारी किया था। कितनी अजीब बात थी, कई महीनों से पुलिस इसी शहर

03 सितम्बर 2025

व्यंग्य : कुत्ते और कुत्ते

व्यंग्य : कुत्ते और कुत्ते

बाज़ार में आजकल हिंदुस्तानी-अँग्रेज़ी में लिखी हुई बहुत-सी किताबें आ गई हैं जो कुत्तों के—असली कुत्तों के—बारे में हैं। ‘डॉग केयर बाई ए डाग-लवर’, ‘शेफ़र्ड डाग्स ऑफ़ जर्मनी, बाई ए डॉग-लवर’, ‘ऑफ़ डाग्स

02 सितम्बर 2025

समीक्षा : मृत्यु अंत है, लेकिन आश्वस्ति भी

समीक्षा : मृत्यु अंत है, लेकिन आश्वस्ति भी

मृत्यु ऐसी स्थिति है, जिसका प्रामाणिक अनुभव कभी कोई लिख ही नहीं सकता; लेकिन इस कष्टदायी अमूर्तता के स्वरूप, दृश्य और प्रभाव को वरिष्ठ कवि अरुण देव ने पूरी सफलता के साथ काव्य शैली में ढाल दिया है। ‘मृ

01 सितम्बर 2025

समीक्षा : त'आरुफ़-ए-मंटो

समीक्षा : त'आरुफ़-ए-मंटो

पिछले हफ़्ते विभाजन पर आधारित एक नाटक देखने गया था। नाटक दिल्ली के एक प्रतिष्ठित सरकारी संस्थान में था। विभाजन भारतीय उपमहाद्वीप और उसके लोगों पर घटी एक त्रासदी है—उसे याद किया जा सकता है, उससे सीखा

30 अगस्त 2025

समीक्षा : सूर्यबाला के पहले उपन्यास का पुनर्पाठ

समीक्षा : सूर्यबाला के पहले उपन्यास का पुनर्पाठ

हिंदी साहित्य में जिसे साठोत्तरी रचना पीढ़ी के नाम से जाना जाता है, सूर्यबाला उसकी एक प्रमुख हस्ताक्षर हैं। उनकी साहित्यिक पहचान की नींव उनके पहले ही उपन्यास ‘मेरे संधि-पत्र’ से जुड़ी है। मैं इस किता

29 अगस्त 2025

वापसियों की यात्रा क्या त्रासदियों के अंत से शुरू होती है?

वापसियों की यात्रा क्या त्रासदियों के अंत से शुरू होती है?

अचानक ही तुम्हें अपनी भटक का उद्गम मिल गया है। वह इतना अस्ल है कि तुम उससे घबरा गए हो। तुम चाहते हो, तुम जितनी जल्दी हो सके—उसे भाषा में उतार दो। भले ही वह अधूरा ही उतरे, लेकिन क़ुबूल हो जाए। भले उसक

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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