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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

16 नवम्बर 2024

‘यूनिवर्सिटी थिएटर से जुड़ना’

‘यूनिवर्सिटी थिएटर से जुड़ना’

नाटक देखने और समझने का मेरा अनुभव यूनिवर्सिटी थिएटर की देन है। बतौर दर्शक मैं कोई प्ले देखती और फिर उसके बारे में जब लिखना होता, फ़ीडबैक देना होता—तो मेरे पास बस कुछ ही बातें बचतीं, कितनी देखते समय ही

14 नवम्बर 2024

नीत्शे के नीत्शे होने की कहानी

नीत्शे के नीत्शे होने की कहानी

“किधर है नीत्शे?”  यह सवाल सुबह से नीत्शे के घर में गूँजता रहता। उसके पिता बोहरे जी, जिनका असली नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा है—और जो गाँव के पुजारी और ज्योतिषाचार्य हैं—जो सुबह-सुबह अपने बेटे के घर स

13 नवम्बर 2024

बुकर विजेता किताब 'ऑर्बिटल' के बारे में

बुकर विजेता किताब 'ऑर्बिटल' के बारे में

अंतरिक्ष शब्द सुनते ही मैं आतंकित महसूस करता हूँ। मैं जिस शहर में बढ़ा हुआ वह करनाल के बहुत नज़दीक था—जहाँ चाँद पर क़दम रखने वाली पहली भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का जन्म हुआ। जब कोलंबि

12 नवम्बर 2024

ज़िंदगी से ग़ायब आमों की महक

ज़िंदगी से ग़ायब आमों की महक

बारिश में पेड़ से टपका आम गद्द से ज़मीन में धँस जाए, आगे-पीछे मिट्टी में लिपटे हम, मिट्टी में छिपे आम को खोजने में मिट्टी में इधर-उधर झपट्टा मारते हुए; आम खोजते और बाल्टी, बोरा और खाँची सब भर डालते। 

10 नवम्बर 2024

कवि बनने के लिए ज़रूरी नहीं है कि आप लिखें

कवि बनने के लिए ज़रूरी नहीं है कि आप लिखें

‘बीटनिक’, ‘भूखी पीढ़ी’ और ‘अकविता’ क्या है, यह पहचानता हूँ, और क्यों है, यह समझता हूँ। इससे आगे उनपर विचार करना आवश्यक नहीं है। — अज्ञेय बीट कविता ने अमेरिकी साहित्य की भाषा को एक नया संस्कार दि

09 नवम्बर 2024

बंजारे की चिट्ठियाँ पढ़ने का अनुभव

बंजारे की चिट्ठियाँ पढ़ने का अनुभव

पिछले हफ़्ते मैंने सुमेर की डायरी ‘बंजारे की चिट्ठियाँ’ पढ़ी। इसे पढ़ने में दो दिन लगे, हालाँकि एक दिन में भी पढ़ी जा सकती है। जो किताब मुझे पसंद आती है, मैं नहीं चाहती उसे जल्दी पढ़कर ख़त्म कर दूँ; इसलिए

08 नवम्बर 2024

छठ, शारदा सिन्हा और ये वैधव्य के नहीं विरह के दिन थे...

छठ, शारदा सिन्हा और ये वैधव्य के नहीं विरह के दिन थे...

मुझे ख़ूब याद है जब मेरी दादी गुज़र गई थीं! वह सुहागिन गुज़री थीं। उनकी मृत्यु के समय खींची गईं तस्वीरों में एक तस्वीर ऐसी है कि देखकर बरबस रोना आता है। पीयर (पीली) दगदग गोटेदार पुतली साड़ी में लिपटी

08 नवम्बर 2024

गिफ़्टेड : एक जीनियस बच्ची के बचपन को बचाने की कहानी

गिफ़्टेड : एक जीनियस बच्ची के बचपन को बचाने की कहानी

अपनी माँ की भाषा में कहूँ तो गिफ़्टेड एक मामा और भांजी के एक आत्मीय रिश्ते पर आधारित एक फ़िल्म है। मामा यानी माँ का भाई, गिफ़्टेड देखते हुए मुझे अपने मामा की याद बरबस ही आती रही कि कैसे उन्होंने हम भा

06 नवम्बर 2024

फूल की थरिया से छिटकती झनकार की तरह थीं शारदा सिन्हा!

फूल की थरिया से छिटकती झनकार की तरह थीं शारदा सिन्हा!

कहते हैं फूल की थरिया को लोहे की तीली से गर छेड़ दिया जाए तो जो झनकार निकलेगी वह शारदा सिन्हा की आवाज़ है। कोयल कभी बेसुरा हो सकती है लेकिन वह नहीं! कातिक (कार्तिक) में नए धान का चिउड़ा महकता है। शार

06 नवम्बर 2024

शारदा सिन्हा : ‘हमरा के कहाँ छोड़ले जाइछी रे गवनवा...’

शारदा सिन्हा : ‘हमरा के कहाँ छोड़ले जाइछी रे गवनवा...’

‘अपने त जाय छी प्रभु देस रे बिदेसवा से, हमरा के...’  पर कहाँ जा पाएँगी इस देस से? काश ‘घोड़ा के लगमवा’ थाम के रोका जा सकता। काश ‘सँईया कलकतवा से’ आ सकते। किसे कहेंगे इस महादेस के मन की आवाज़ अब; ठीक