बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

20 अप्रैल 2025

‘रविवासरीय : 3.0 : हिंदी में विश्व कविता का विश्व’

‘रविवासरीय : 3.0 : हिंदी में विश्व कविता का विश्व’

• गत सौ-सवा वर्षों की हिंदी कविता पर अगर एक सरसरी तब्सिरा किया जाए और यह जाँचने-जानने के यत्न में संलग्न हुआ जाए कि हमारी हिंदी दूसरी भाषाओं में उपस्थित सृजन के प्रति कितनी खुली हुई है; तब यह तथ्य एक

13 अप्रैल 2025

रविवासरीय : 3.0 : ‘बुद्धि की आँखों में स्वार्थों के शीशे-सा!’

रविवासरीय : 3.0 : ‘बुद्धि की आँखों में स्वार्थों के शीशे-सा!’

• गत बुधवार ‘बेला’ के एक वर्ष पूर्ण होने पर हमने अपने उद्देश्यों, सफलताओं और योजनाओं का एक शब्दचित्र प्रस्तुत किया। इस शब्दचित्र में आत्मप्रचार और आभार की सम्मिलित शैली में हमने लगभग अपना ही प्रशस्ति

09 अप्रैल 2025

आज ‘बेला’ का जन्मदिन है

आज ‘बेला’ का जन्मदिन है

आज ‘बेला’ का जन्मदिन है। गत वर्ष वे देवियों के दिन थे, जब हिन्दी और ‘हिन्दवी’ के व्यापक संसार में ‘बेला’ का प्राकट्य हुआ था। देवियों की उपस्थिति और कला—रूप और कथ्य दोनों ही स्तरों पर—अत्यंत समृद्ध

06 अप्रैल 2025

रविवासरीय : 3.0 : एक सुझाववादी का चाहिएवाद

रविवासरीय : 3.0 : एक सुझाववादी का चाहिएवाद

• ‘नये शेखर की जीवनी’ शीर्षक कथा-कृति के प्रथम खंड में इन पंक्तियों के लेखक ने एक ऐसे समीक्षक का वर्णन किया है; जिसके कमरे में केवल वे ही किताबें थीं, जिनकी उसने समीक्षाएँ की थीं। यह कुछ-कुछ वैसा ही

01 अप्रैल 2025

विश्वनाथ शर्मा ‘विमलेश’ से सुरेंद्र शर्मा तक

विश्वनाथ शर्मा ‘विमलेश’ से सुरेंद्र शर्मा तक

उनका पूरा नाम विश्वनाथ शर्मा ‘विमलेश’ था। ‘विमलेश राजस्थानी’ भी उन्हें कहा जाता था और कवियों के बीच वह विमलेशजी के नाम से मशहूर थे। विमलेशजी की चार लाइनों और उनके पढ़ने की नक़ल करने वाले सुरेंद्र शर

30 मार्च 2025

रविवासरीय : 3.0 : एक समय की बात है और नहीं भी...

रविवासरीय : 3.0 : एक समय की बात है और नहीं भी...

• गत ‘रविवासरीय’ पढ़कर मेरे बचपन के दोस्त अनूप सोनकर ने कानपुर से मुझे फ़ोन पर एक कहानी सुनाई। उसे भी नहीं पता कि यह कहानी उसने कहाँ से अपने ज़ेहन में उतारी और मुझे भी यह अनसुनी-अनपढ़ी लगी! आइए इसे पढ़ते

23 मार्च 2025

रविवासरीय : 3.0 : इस पर ध्यान दें, भले ही आप अनुभवी शराबी हैं

रविवासरीय : 3.0 : इस पर ध्यान दें, भले ही आप अनुभवी शराबी हैं

• प्रश्न यह था कि क्या शराब पीने वालों को उन्हें अपने साथ बैठाना चाहिए, जो शराब नहीं पीते? बैठक में चार पीढ़ियों के चार व्यक्ति थे और वे शराब नहीं पी रहे थे; जबकि उनमें से तीन पी सकते थे, क्योंकि वे प

21 मार्च 2025

‘चलो अब शुरू करते हैं यह सांस्कृतिक कार्यक्रम’

‘चलो अब शुरू करते हैं यह सांस्कृतिक कार्यक्रम’

ओ मेरी कविता, कहाँ हैं तेरे श्रोता? कमरे में कुल बारह लोग और आठ ख़ाली कुर्सियाँ— चलो अब शुरू करते हैं यह सांस्कृतिक कार्यक्रम कुछ लोग और अंदर आ गए शायद बारिश पड़ने लगी है बाक़ी सभी कवि के सगे-सं

16 मार्च 2025

रविवासरीय : 3.0 : कभी-कभी लगता है कि गोविंदा भी कवि है

रविवासरीय : 3.0 : कभी-कभी लगता है कि गोविंदा भी कवि है

• यहाँ प्रस्तुत मज़मून लगभग चार वर्ष पुराना है, लेकिन इसके नायक से संबंधित समाचार रोज़-रोज़ कुछ इस क़दर आते हैं कि यह रोज़-रोज़ नया होता जाता है! • गत वर्ष के एक अक्टूबर की सुबह पाँच बजे के आस-पास छह गो

14 मार्च 2025

जीवन का आनंद है होली

जीवन का आनंद है होली

होली हिंदू जीवन का आनंद है। जीवन में यदि आनंद न हो तो वह किस काम का? जिये सो खेले फाग, मरे सो लेखे लाग। मानो जीवन का सुख होली है और जीना है तो होली के लिए। चार त्योहार हिंदुओं के मुख्य हैं। श्र