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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

12 सितम्बर 2025

‘विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय : एक अद्वितीय साहित्यकार’

‘विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय : एक अद्वितीय साहित्यकार’

बांग्ला साहित्य में प्रकृति, सौंदर्य, निसर्ग और ग्रामीण जीवन को यदि किसी ने सबसे पूर्ण रूप से उभारा है, तो वह विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय (1894-1950) हैं। चरित्र-चित्रण, अतुलनीय गद्य-शैली, दैनिक जीवन को

07 सितम्बर 2025

बिंदुघाटी : गुदरिया गले में डारे भरथरी

बिंदुघाटी : गुदरिया गले में डारे भरथरी

• किंवदंतियों, जनश्रुतियों और विद्वानों के विवरणों में विशद उपस्थिति रखने वाले भर्तृहरि राजा थे या ऋषि! कवि थे या वैयाकरण! योगी थे या भोगजीवी सांसारिक... या फिर इन सबको समाहित किए पूरी भारतीय मनीषा म

05 सितम्बर 2025

अपने माट्साब को पीटने का सपना!

अपने माट्साब को पीटने का सपना!

इस महादेश में हर दिन एक दिवस आता रहता है। मेरी मातृभाषा में ‘दिन’ का अर्थ ख़र्च से भी लिया जाता रहा है। मसलन आज फ़लाँ का दिन है। मतलब उसका बारहवाँ। एक दफ़े हमारे एक साथी ने प्रभात-वेला में पिता को जाकर

17 अगस्त 2025

बिंदुघाटी : ‘सून मंदिर मोर...’ यह टीस अर्थ-बाधा से ही निकलती है

बिंदुघाटी : ‘सून मंदिर मोर...’ यह टीस अर्थ-बाधा से ही निकलती है

• विद्यापति तमाम अलंकरणों से विभूषित होने के साथ ही, तमाम विवादों का विषय भी रहे हैं। उनका प्रभाव और प्रसार है ही इतना बड़ा कि अपने समय से लेकर आज तक वे कई कला-विधाओं के माध्यम से जनमानस के बीच रहे है

07 अगस्त 2025

अंतिम शय्या पर रवींद्रनाथ

अंतिम शय्या पर रवींद्रनाथ

श्रावण-मास! बारिश की झरझर में मानो मन का रुदन मिला हो। शाल-पत्तों के बीच से टपक रही हैं—आकाश-अश्रुओं की बूँदें। उनका मन उदास है। शरीर धीरे-धीरे कमज़ोर होता जा रहा है। शांतिनिकेतन का शांत वातावरण अशांत

03 अगस्त 2025

बिंदुघाटी : अब घंटे चतुर्दिक बज रहे हैं

बिंदुघाटी : अब घंटे चतुर्दिक बज रहे हैं

• नशे की वजह से कभी-कभार थोड़ा बहुत ग़ुस्सा बन जाता है और आपसी चिल्प-पों के बाद ऊपर आसमान में गुम हो जाता है। इस नशे की स्थिति में ऐसा भी लगता है कि हम सजग हो गए हैं। साहित्य के सन्वीक्षा-संसार में

15 जुलाई 2025

‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’-2025 की फ़ाइनल लिस्ट

‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’-2025 की फ़ाइनल लिस्ट

इस जुलाई की उमस भरी शनिवार की दुपहर में; जब नोएडा के अधिकांश दफ़्तरों में कर्मचारी छुट्टी पर थे, ‘हिन्दवी’ की संपादकीय टीम एक कमरे में बैठकर अपने आचरण के अनुरूप हिंदी-साहित्य में एक नया प्रयोग कर रही

13 जुलाई 2025

बिंदुघाटी : वाचालता एक भयानक बीमारी बन चुकी है

बिंदुघाटी : वाचालता एक भयानक बीमारी बन चुकी है

• संभवतः संसार की सारी परंपराओं के रूपक-संसार में नाविक और चरवाहे की व्याप्ति बहुत अधिक है। गीति-काव्यों, नाटकों और दार्शनिक चर्चाओं में इन्हें महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।  आधुनिक समाज-विज्ञान

09 जुलाई 2025

गुरु दत्त : कुछ कविताएँ

गुरु दत्त : कुछ कविताएँ

क्या तलाश है, कुछ पता नहीं* वह पीता रहा अपनी ज़िंदगी को एक सिगरेट की तरह तापता रहा अपनी उम्र को एक अलाव की तरह और हम ढूँढ़ते हैं उस राख के क़तरे तलाशते हैं उसके बेचैन होंठों की थरथराहट उसकी

01 जुलाई 2025

आम की बेला

आम की बेला

मिरा वक़्त मुझ से बिछड़ गया मिरा रंग-रूप बिगड़ गया जो ख़िज़ाँ से बाग़ उजड़ गया मैं उसी की फ़स्ल-ए-बहार हूँ मुज़्तर ख़ैराबादी ज़्यादा नहीं बीस बरस पहले तक, गाँवों में बाग़ों का अस्तित्व बचा हुआ

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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