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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

09 नवम्बर 2024

‘बंजारे की चिट्ठियाँ पढ़ने का अनुभव’

‘बंजारे की चिट्ठियाँ पढ़ने का अनुभव’

पिछले हफ़्ते मैंने सुमेर की डायरी ‘बंजारे की चिट्ठियाँ’ पढ़ी। इसे पढ़ने में दो दिन लगे, हालाँकि एक दिन में भी पढ़ी जा सकती है। जो किताब मुझे पसंद आती है, मैं नहीं चाहती उसे जल्दी पढ़कर ख़त्म कर दूँ; इसलिए थ

08 नवम्बर 2024

गिफ़्टेड : एक जीनियस बच्ची के बचपन को बचाने की कहानी

गिफ़्टेड : एक जीनियस बच्ची के बचपन को बचाने की कहानी

अपनी माँ की भाषा में कहूँ तो गिफ़्टेड एक मामा और भांजी के एक आत्मीय रिश्ते पर आधारित एक फ़िल्म है। मामा यानी माँ का भाई, गिफ़्टेड देखते हुए मुझे अपने मामा की याद बरबस ही आती रही कि कैसे उन्होंने हम भा

08 नवम्बर 2024

छठ, शारदा सिन्हा और ये वैधव्य के नहीं विरह के दिन थे...

छठ, शारदा सिन्हा और ये वैधव्य के नहीं विरह के दिन थे...

मुझे ख़ूब याद है जब मेरी दादी गुज़र गई थीं! वह सुहागिन गुज़री थीं। उनकी मृत्यु के समय खींची गईं तस्वीरों में एक तस्वीर ऐसी है कि देखकर बरबस रोना आता है। पीयर (पीली) दगदग गोटेदार पुतली साड़ी में लिपटी

06 नवम्बर 2024

फूल की थरिया से छिटकती झनकार की तरह थीं शारदा सिन्हा!

फूल की थरिया से छिटकती झनकार की तरह थीं शारदा सिन्हा!

कहते हैं फूल की थरिया को लोहे की तीली से गर छेड़ दिया जाए तो जो झनकार निकलेगी वह शारदा सिन्हा की आवाज़ है। कोयल कभी बेसुरा हो सकती है लेकिन वह नहीं! कातिक (कार्तिक) में नए धान का चिउड़ा महकता है। शार

06 नवम्बर 2024

शारदा सिन्हा : ‘हमरा के कहाँ छोड़ले जाइछी रे गवनवा...’

शारदा सिन्हा : ‘हमरा के कहाँ छोड़ले जाइछी रे गवनवा...’

‘अपने त जाय छी प्रभु देस रे बिदेसवा से, हमरा के...’  पर कहाँ जा पाएँगी इस देस से? काश ‘घोड़ा के लगमवा’ थाम के रोका जा सकता। काश ‘सँईया कलकतवा से’ आ सकते। किसे कहेंगे इस महादेस के मन की आवाज़ अब; ठीक

04 नवम्बर 2024

माफ़िया और राजनीतिक गलियारों में खेले जाने वाले शह और मात के खेल की कहानी

माफ़िया और राजनीतिक गलियारों में खेले जाने वाले शह और मात के खेल की कहानी

पेशेवर कामयाबी का सबसे ख़राब बाई-प्रॉडक्‍ट यही है कि यह आपको उन सब चीज़ों से दूर कर देती है, जो आपको सबसे ज़्यादा ख़ुशी देती हैं। मेरे मामले में यह चीज़ किताबें पढ़ना है। जब भी वक़्त मिलता है, एक नई

03 नवम्बर 2024

जीवन के मायाजाल में फँसी मछली

जीवन के मायाजाल में फँसी मछली

पेंगुइन बर्फ़ की कोख में नवजात पेंगुइन पैदा हुआ। पेंगुइन नहीं जानता था, वह क्यों और किस तरह पैदा हुआ। कौन-से उद्देश्य की ज़र खाई पाज़ेब पहन अपने पाँव ‌ज़मीन पर रखे। यह रूप, यह संज्ञा, यह संसार, यह

01 नवम्बर 2024

जब कहानी पाठक को किरदार बना ले

जब कहानी पाठक को किरदार बना ले

साहित्य कोई महासागर है, कहानी उसमें बहने वाली धारा—शीत भी, उष्ण भी। वहीं से निकलती है, वहीं समा जाती है। सदियों से यह क्रम चल रहा है। धर्म और लोक रंग में रंगी हुई कथाएँ भी कही-सुनी जाती रही हैं। कहान

31 अक्तूबर 2024

रोशनी की प्रजाएँ

रोशनी की प्रजाएँ

दीपावली अर्थात् नन्हे-नन्हे दीपकों का उत्सव। रोशनी के नन्हे-नन्हे बच्चों का उत्सव! ‘जब सूर्य-चंद्र अस्त हो जाते हैं तो मनुष्य अंधकार में अग्नि के सहारे ही बचा रहता है।’ ‘छान्दोग्य उपनिषद्’ के ऋषि का

30 अक्तूबर 2024

कनॉट प्लेस के एक रेस्तराँ में एक रोज़

कनॉट प्लेस के एक रेस्तराँ में एक रोज़

उस दिन दुपहर निरुद्देश्य भटकते हुए, मैंने पाया कि मैं कनॉट प्लेस में हूँ और मुझे भूख लगी है। सामने एक नया बना रेस्तराँ था। मैं भीतर चलता गया और एक ख़ाली मेज़ पर बैठ गया। मैंने एक प्यारी-सी ख़ुशी महसूस

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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