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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

30 मार्च 2025

‘रविवासरीय : 3.0 : एक समय की बात है और नहीं भी...’

‘रविवासरीय : 3.0 : एक समय की बात है और नहीं भी...’

• गत ‘रविवासरीय’ पढ़कर मेरे बचपन के दोस्त अनूप सोनकर ने कानपुर से मुझे फ़ोन पर एक कहानी सुनाई। उसे भी नहीं पता कि यह कहानी उसने कहाँ से अपने ज़ेहन में उतारी और मुझे भी यह अनसुनी-अनपढ़ी लगी! आइए इसे पढ़ते ह

29 मार्च 2025

तेरह दिन की एक आत्मकथा

तेरह दिन की एक आत्मकथा

रहना यहीं था—इसी समाज में, घर के भीतर, घर के बाहर। घर भीतर ढूँढ़ते हुए अब, सब इधर-उधर था। कोई याद अपनी जगह पर नहीं मिल रही है इस जगह। अभी तो रहना है, यह सोचकर यादों को तरतीब देने का मन बना लिया।

28 मार्च 2025

यह दुनिया पेट की दौड़ है

यह दुनिया पेट की दौड़ है

ख़ालिद जावेद के उपन्यास ‘नेमत ख़ाना’ से गुज़रते हुए गाहे-ब-गाहे यह महसूस होता है कि निःसंदेह तमाम दुनिया पेट की दौड़ है—इससे ज़्यादा कुछ नहीं, इससे कम कुछ नहीं। आपके अंतर् से पारदर्शी परिचय करवाते इस

27 मार्च 2025

जातियों में जकड़े भारतीय समाज का अनदेखा सच

जातियों में जकड़े भारतीय समाज का अनदेखा सच

प्रत्येक समाज और व्यक्ति के अपने सच होते हैं। ये सच किसी-न-किसी माध्यम से अभिव्यक्ति पाते हैं। किताबें किसी व्यक्ति या समाज के अनदेखे सच की अभिव्यक्ति का अनूठा माध्यम हैं। एक ऐसी ही पुस्तक है—महाब्रा

27 मार्च 2025

एक बाल नाटक लिखते हुए

एक बाल नाटक लिखते हुए

मैं अक्सर सोचती हूँ कि हम सब कितनी सारी चीज़ों से घिरे हैं। एक वयस्क के रूप में जीवन और दुनिया को देखते हुए ऊब गए हैं। अक्सर अपनी ऊब, अपनी चालाकियाँ और कुंठाएँ जाने-अनजाने हम बच्चों तक प्रेषित कर देते

26 मार्च 2025

प्रेम, लेखन, परिवार, मोह की 'एक कहानी यह भी'

प्रेम, लेखन, परिवार, मोह की 'एक कहानी यह भी'

साल 2006 में प्रकाशित ‘एक कहानी यह भी’ मन्नू भंडारी की प्रसिद्ध आत्मकथा है, लेकिन मन्नू भंडारी इसे आत्मकथा नहीं मानती थीं। वह अपनी आत्मकथा के स्पष्टीकरण में स्पष्ट तौर पर लिखती हैं—‘‘यह मेरी आत्मकथा

24 मार्च 2025

नदी, लोग और कविताएँ

नदी, लोग और कविताएँ

दिन के बाद दिन आते गए और रात के बाद रात। सारा जीवन इकसार और नीरस-सा लगने लगा। इस दुख को हँसकर टालने के अलावा दूसरा कोई रास्ता भी न था। रात के अकेलेपन को काटने के लिए फ़ोन की स्क्रीन को बेहिसाब स्क्रॉ

24 मार्च 2025

“असली पुरस्कार तो आप लोग हैं”

“असली पुरस्कार तो आप लोग हैं”

समादृत कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। वर्ष 1961 में इस पुरस्कार की स्थापना ह

23 मार्च 2025

रविवासरीय : 3.0 : इस पर ध्यान दें, भले ही आप अनुभवी शराबी हैं

रविवासरीय : 3.0 : इस पर ध्यान दें, भले ही आप अनुभवी शराबी हैं

• प्रश्न यह था कि क्या शराब पीने वालों को उन्हें अपने साथ बैठाना चाहिए, जो शराब नहीं पीते? बैठक में चार पीढ़ियों के चार व्यक्ति थे और वे शराब नहीं पी रहे थे; जबकि उनमें से तीन पी सकते थे, क्योंकि वे प

22 मार्च 2025

मार्सेल प्रूस्त : स्मृति का गद्यकार

मार्सेल प्रूस्त : स्मृति का गद्यकार

“…ख़ैर, प्रूस्त के बाद लिखने के लिए क्या ही बचता है!” (Virginia Woolf, Letters, Vol-2) वर्जीनिया वुल्फ़ की यह टिप्पणी, मानव चेतना, स्मृति और समय के बारे में मार्सेल प्रूस्त के लेखन की उस सिफ़त को रे

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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