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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

13 फरवरी 2025

‘कहानी : लुटेरी तवायफ़ें’

‘कहानी : लुटेरी तवायफ़ें’

शादियों का सीज़न आते ही रेशमा तैयारी करना शुरू कर देती। मेकअप से थोड़ा घबराती थी, लेकिन उम्र छुपाने की जद्दोजहद रहती थी हमेशा। चेहरे को कैसे सवारें, क्या करें, क्या न करें—ये सब परपंच उसे समझ नहीं आते।

13 फरवरी 2025

विहान की अलवर-यात्रा : जीवंत रंग प्रस्तुतियाँ

विहान की अलवर-यात्रा : जीवंत रंग प्रस्तुतियाँ

विहान ड्रामा वर्क्स की अलवर यात्रा पर लिखना सिर्फ़ एक यात्रा के बारे में लिखना नहीं, बल्कि विहान की एक महत्त्वपूर्ण और ऐतिहासिक उपलब्धि को रेखांकित करना है। जिसे लिखे बिना उसकी संपूर्णता दर्ज करना सं

12 फरवरी 2025

स्त्रियों के संसार में ही घिरती है रात

स्त्रियों के संसार में ही घिरती है रात

ये उसकी सुबह थी पीठ पर धक्का मारते पुलकित के नन्हें पैर सुबह की अलसाई नींद के गवाह थे। इससे पहले वह इस आनंद में डूबती, भागते समय की हक़ीक़त एक कुशल ग़ोताख़ोर की तरह उसे अप्रतिम सुख की नदी से बाहर

11 फरवरी 2025

अजातशत्रु : आस्था के आगे मौत क्या चीज़ है!

अजातशत्रु : आस्था के आगे मौत क्या चीज़ है!

भारत रंग महोत्सव में के. के. रैना द्वारा निर्देशित और इला अरूण द्वारा अनूदित नाटक ‘अजातशत्रु’ की बेहतरीन प्रस्तुति हुई। यह नाटक का प्रभाव था या फिर के. के. रैना और इला अरूण के नाम का प्रभाव; प्रेक्षा

10 फरवरी 2025

ड्रैगन फ़्रूट, कीवी के ज़माने में सिंघाड़ों का सुख

ड्रैगन फ़्रूट, कीवी के ज़माने में सिंघाड़ों का सुख

शीत की साग-सब्ज़ियों से अटी पड़ी सब्ज़ी मंडियों के बाहर अत्यक्त भाव से बिकते सिंघाड़ों को देखकर जी करुणा से भर आया। ऐसे सरस फल को कैसे इतनी जल्दी बीते दिनों की बात बना हम आगे बढ़ गए। कार्तिक महीने

09 फरवरी 2025

रविवासरीय : 3.0 : ‘इन्हें कोई काश ये बता दे मकाम ऊँचा है सादगी का...’

रविवासरीय : 3.0 : ‘इन्हें कोई काश ये बता दे मकाम ऊँचा है सादगी का...’

• एक प्रकाशक को देखकर मेरे मन में सबसे पहला ख़याल यही आता है कि उससे किताब ले लूँ। यहाँ ‘किताब ले लेने’ का अर्थ एकायामी नहीं है।  • हिंदी के साहित्यिक प्रकाशकों के विषय में जो बात सबसे ज़्यादा परेशा

08 फरवरी 2025

बहुत कुछ खोने के अँधेरे में किसी को बचाने की कहानियाँ

बहुत कुछ खोने के अँधेरे में किसी को बचाने की कहानियाँ

इस किताब को पढ़ते हुए यह महसूस होता है कि कवि-कथाकार-फ़िल्मकार देवी प्रसाद मिश्र की कहानियों के साथ चलना ख़ुद को विशद करना और उदात्त करना ही तो है। ‘कोई है जो’ खिड़की से भीतर गया, दरवाज़े से भीतर जात

07 फरवरी 2025

भारंगम में कॉमेडी, लव और वॉर के अंतराल से गुज़रे दर्शक

भारंगम में कॉमेडी, लव और वॉर के अंतराल से गुज़रे दर्शक

भारत रंग महोत्सव की तीसरी संध्या को, एमआईटी-एडीटी विश्वविद्यालय, रंगमंच विभाग के प्रथम वर्ष के छात्रों द्वारा ‘कंजूस’ नाटक प्रस्तुत किया गया। कलाकारों ने कंजूसी से इस नाटक का प्रदर्शन किया। नाटक में

07 फरवरी 2025

कभी न लौटने के लिए जाना

कभी न लौटने के लिए जाना

6 अगस्त 2017 की शाम थी। मैं एमए में एडमिशन लेने के बाद एक शाम आपसे मिलने आपके घर पहुँचा था। अस्ल में मैं और पापा, एक ममेरे भाई (सुधाकर उपाध्याय) से मिलने के लिए वहाँ गए थे जो उन दिनों आपके साथ रहा कर

06 फरवरी 2025

यथार्थ का जादू और जादुई यथार्थवाद

यथार्थ का जादू और जादुई यथार्थवाद

‘अम्बर परियाँ’ बलजिंदर नसराली का तीसरा उपन्यास है। इससे पहले पंजाबी में उनके दो उपन्यास आ चुके हैं। उन्होंने कहानियाँ भी लिखी हैं। उनके दो कहानी संग्रह ‘डाकखाना खास’ और ‘औरत की शरण में’ भी प्रकाशित ह