Font by Mehr Nastaliq Web

बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

08 दिसम्बर 2024

‘हान कांग के उपन्यासों में अवसाद’

‘हान कांग के उपन्यासों में अवसाद’

Is it true that human beings are fundamentally cruel? Is the experience of cruelty the only thing we share as a species? (The Prisoner 1990, Human Acts) हान कांग के उपन्यासों को पढ़ने की होड़ और उ

07 दिसम्बर 2024

सौंदर्य की नदी नर्मदा : नर्मदा के वनवास से अज्ञातवास की पूरी कहानी

सौंदर्य की नदी नर्मदा : नर्मदा के वनवास से अज्ञातवास की पूरी कहानी

“सौंदर्य उसका, भूल-चूक मेरी!” शुरुआती पन्नों में ही यह पंक्ति लिखकर लेखक अपनी मंशा बिल्कुल साफ़ कर देते हैं। सारे ग्रह से लेकर परमाणु तक सब अपनी-अपनी कक्षा में परिक्रमा कर रहे हैं और इसी तरह प्रत्येक

06 दिसम्बर 2024

शरद ऋतु में, शरद ऋतु में, शरद ऋतु में ही

शरद ऋतु में, शरद ऋतु में, शरद ऋतु में ही

मैं पानी पी रही हूँ और तभी जब पानी मेरे गले से होता हुआ भीतर जाता महसूस हो रहा है, उसी पल कोयल की आवाज़ आने लगी। उस क्षण मुझे लगा मेरे कंठ से आवाज़ आएगी और कोयल कंठ के साथ गाती रहेगी। चार क़दम चलक

05 दिसम्बर 2024

भारत कृषिप्रधान देश हुआ करता था!

भारत कृषिप्रधान देश हुआ करता था!

बरसात का मौसम हर साल प्रकृति को साफ़ करने में योगदान करे या न करे लेकिन भौतिक विकास का प्रपंच किस राज्य की नगरपालिका ने कितना ज़्यादा किया है—यह क्रमशः दिखाने में कसर नहीं छोड़ता; और छोड़े भी क्यों ज

04 दिसम्बर 2024

लौट रहा है महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल

04 दिसम्बर 2024

लौट रहा है महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल

महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल—जो संगीत, साहित्य और आध्यात्मिकता का एक अद्भुत संगम है, अपने आठवें संस्करण के साथ 13 दिसंबर से 15 दिसंबर 2024 के बीच वाराणसी के ऐतिहासिक घाटों पर लौट रहा है। यह तीन दिवसीय उत

03 दिसम्बर 2024

बेकल उत्साही : मैं ख़ुसरो का वंश हूँ, हूँ अवधी का संत

बेकल उत्साही : मैं ख़ुसरो का वंश हूँ, हूँ अवधी का संत

अवधी में रोमानी कविता की भी एक संवृद्ध परंपरा रही है, जिसकी शुरुआती मिसाल हम अबुल हसन यमीन उद-दीन ख़ुसरो (1253-1325 ई.) के यहाँ देख सकते हैं। उनका एक प्रसिद्ध कथन है कि “मैं हिंदुस्तान की तूती हूँ। अ

02 दिसम्बर 2024

रूमानियत पर एक रूमानी बातचीत

रूमानियत पर एक रूमानी बातचीत

एक रोज़ जब लगभग सन्नाटा पसरने को था, मैंने अपने साथ खड़े लेखक से पूछा, “आप इतनी रूमानियत अपनी रचनाओं में क्यों भरते हैं? क्या आपको लगता है कि इंसान अपने अकेलेपन में ऐसे सोचता होगा?” हम रास्ते पर च

01 दिसम्बर 2024

हिंदुस्तान आपको नींद की ज़रूरत है

हिंदुस्तान आपको नींद की ज़रूरत है

मेरे प्यारे दोस्तो, हिंदुस्तान कभी सुबह जल्दी उठने वालों का देश हुआ करता था। यह हमारे डीएनए में था। सुबह उठकर आप बिना किसी रुकावट के दस क़दम भी नहीं चलते कि एक आत्ममुग्ध चाचा जी मिल जाते, जो सुबह 4 ब

30 नवम्बर 2024

हिंदी साहित्य के आउटसाइडर नीलकांत को जानना

हिंदी साहित्य के आउटसाइडर नीलकांत को जानना

फ़ेसबुक पर एक वीडियो तैरती हुई दिखाई दी। उसमें एक बुज़ुर्ग अपील कर रहे हैं कि कल देवनगर झूसी में आयोजित साहित्यिक गोष्ठी में शिरकत करें। मैंने तय किया कि इस गोष्ठी में जाऊँगा। मैं जहाँ रहता हूँ, वहाँ

29 नवम्बर 2024

बोरसी भर आँच : चीकू की चीख़ों में मनुष्य का चेहरा

बोरसी भर आँच : चीकू की चीख़ों में मनुष्य का चेहरा

“माँ कभी न थकने वाली चींटियों की तरह अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाती रहती।” चीकू की चमकीली पर पनीली आँखें दुनिया भर के दर्द का समुद्र भीतर समाए बड़ी हो रही थीं। नन्ही उम्र में चट्टानी प्रतिरोधक क्षमता च