साहित्य और संस्कृति की घड़ी
साल 2006 में प्रकाशित ‘एक कहानी यह भी’ मन्नू भंडारी की प्रसिद्ध आत्मकथा है, लेकिन मन्नू भंडारी इसे आत्मकथा नहीं मानती थीं। वह अपनी आत्मकथा के स्पष्टीकरण में स्पष्ट तौर पर लिखती हैं—‘‘यह मेरी आत्मकथा क
दिन के बाद दिन आते गए और रात के बाद रात। सारा जीवन इकसार और नीरस-सा लगने लगा। इस दुख को हँसकर टालने के अलावा दूसरा कोई रास्ता भी न था। रात के अकेलेपन को काटने के लिए फ़ोन की स्क्रीन को बेहिसाब स्क्रॉ
समादृत कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। वर्ष 1961 में इस पुरस्कार की स्थापना ह
• प्रश्न यह था कि क्या शराब पीने वालों को उन्हें अपने साथ बैठाना चाहिए, जो शराब नहीं पीते? बैठक में चार पीढ़ियों के चार व्यक्ति थे और वे शराब नहीं पी रहे थे; जबकि उनमें से तीन पी सकते थे, क्योंकि वे प
भारतीय रंगमंच की जीवंत परंपरा को प्रोत्साहित करने और देश भर के प्रतिभाशाली कलाकारों को एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से, महिंद्रा समूह और टीम वर्कआर्ट्स द्वारा आयोजित ‘महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अव
22 मार्च 2025
“…ख़ैर, प्रूस्त के बाद लिखने के लिए क्या ही बचता है!” (Virginia Woolf, Letters, Vol-2) वर्जीनिया वुल्फ़ की यह टिप्पणी, मानव चेतना, स्मृति और समय के बारे में मार्सेल प्रूस्त के लेखन की उस सिफ़त को रे
21 मार्च 2025
ओ मेरी कविता, कहाँ हैं तेरे श्रोता? कमरे में कुल बारह लोग और आठ ख़ाली कुर्सियाँ— चलो अब शुरू करते हैं यह सांस्कृतिक कार्यक्रम कुछ लोग और अंदर आ गए शायद बारिश पड़ने लगी है बाक़ी सभी कवि के सगे-सं
गोलू का कॉल आया। उसने कहा कि चाचा मिलते हैं। “कहाँ मिलें?” “यमुना बोट क्लब।” वह मेरा भतीजा है। वह यमुना पार महेवा नैनी में रहता था। हम अपने-अपने रास्ते से होते हुए पहुँच गए यमुना बोट क्लब। उ
कुछ रोज़ पूर्व एक सज्जन व्यक्ति को मैंने कहते सुना, “रणवीर अल्लाहबादिया और समय रैना अश्लील हैं, क्योंकि वे दोनों अगम्यगमन (इन्सेस्ट) अथवा कौटुंबिक व्यभिचार पर मज़ाक़ करते हैं।” यह कहने वाले व्यक्ति का
मुझे ऐसे गले लगाओ जैसे मैं कल मरने वाला हूँ, और कल मुझे ऐसे गले लगाओ जैसे मैं मृतकों में से वापस आया हूँ! —निज़ार क़ब्बानी “Who can forget the most amazing moment when we get face to face for t