
मेरी राय में जीवन की क्रूरता के प्रति अपनी आँखें बंद करना मूर्खतापूर्ण और पापपूर्ण दोनों है। इसके बारे में हम बहुत कुछ नहीं कर सकते हैं। इसलिए हमें कम से कम इसे स्वीकार करना होगा।

संदेह… एक बीमारी है जो ज्ञान से आती है और पागलपन की ओर ले जाती है।

पहली नज़र को प्रेम मानकर समर्पण कर देना भी पागलपन है।

पहली नज़र को प्रेम मानकर समर्पण कर देना भी पागलपन है।

निस्संदेह मैं तो हिंदू युवकों को वीरों और हुतात्माओं के उस गौरवमय पागलखाने में प्रविष्ट कराना चाहता हूँ जहाँ त्याग को लाभ, ग़रीबी को अमीरी और मृत्यु को जीवन समझा जाता है। मैं तो ऐसे पक्के और पवित्र पागलपन का प्रचार करता हूँ। पागल! हाँ, मैं पागल हूँ। मैं ख़ुश हूँ कि मैं पागल हूँ।

डर और बेवक़ूफ़ी भरे अहंकार के चलते कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति को खोने न दें जो आपके लिए मूल्यवान है।

मैं इसलिए पागल नहीं हूँ क्योंकि मैं औरत हूँ… मैं पागल हूँ क्योंकि तुम मूर्ख हो।

प्रत्येक विक्षिप्त व्यक्ति आंशिक रूप से सही है।

पागलपन भरी बातों को गंभीरता से लेना समय की गंभीर बर्बादी है।

तुम्हारे पास सब कुछ है, परंतु एक चीज़ है : पागलपन। एक इंसान को थोड़े पागलपन की आवश्यकता होती है, अन्यथा—वह कभी हिम्मत नहीं कर पाएगा—रस्सी काटने और स्वतंत्र हो जाने की।

उसे औरत के रूप में पैदा होने के ख़िलाफ़ विद्रोह करना उतना ही मूर्खतापूर्ण लगा जितना कि उस पर गर्व करना।


मासूमियत एक प्रकार पागलपन है।

क्या मानसिक भंगुरता की कगार पर खड़े होना पागलपन की कगार पर खड़े होने से भी अधिक बुरी चीज़ है?

मूर्खता है सही सिद्धांतों से ग़लत निष्कर्षों को निकालना यही इसका पागलपन से अंतर है क्योंकि उसमें ग़लत सिद्धांतों से सही निष्कर्षों को निकाला जाता है।

पागलपन को गर्वपूर्वक वहन करना है तो उसे किसी दर्शन का आधार अवश्य चाहिए।

हो पागलपन, भूल हो, दुःख मिले, प्रेम की एक ऋतु होती है। उसमें चूकना, उसमें सोच समझ कर चलना दोनों बराबर हैं।

पागल बने बिना कोई महान नहीं हो सकता। परंतु इसका यह अर्थ नहीं कि प्रत्येक पागल व्यक्ति महान होता है।

हर व्यक्ति किसी न किसी बात पर कम या ज़्यादा पागल होता है।

किसी आदमी के साथ रहने का क्या मतलब है, अगर उसके पागलपन के अंदर न रहा गया हो?

हम सभी पागल पैदा होते हैं और हम में से कुछ हमेशा ऐसे ही बने रहते हैं।

पागलपन में एक ख़ास मज़ा है, जिसे केवल पागल ही जान सकता है।

आप जानते हैं? देश मुझे अधिक पागल बनाता है। मुझे लगता है कि पागल लोग बहुत कम पागल होते हैं।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere