महापुरुष पर संस्मरण
देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद
1935 का वर्ष था। इलाहाबाद क्रिश्चियन कॉलेज में अपना कृश शरीर साधारण वस्त्रों से आच्छादित किए एक दीर्घकाय व्यक्ति छात्रों को ईमानदारी और रचनात्मक कार्य का महत्त्व समझा रहा था। उसके कृषक जैसे मुख-मंडल पर दो विशाल नेत्र चमक रहे थे। ऐसा प्रतीत होता था मानो