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पागलपन पर कविताएँ

पागल और पागलपन के शीर्षक

भाव को ग्रहण कर अभिव्यक्त कविताओं से एक चयन।

पागलों का एक वर्णन

मंगलेश डबराल

पागल औरत

मंगलेश डबराल

मुझसे पूछेंगे

रवि प्रकाश

मजनूँ

प्रियंका दुबे

क्या करूँगा, रघुवीर जी

नंदकिशोर आचार्य

पागल समय

नीलेश रघुवंशी

एक कोशा हो गई पागल

ध्रुव शुक्ल

पागल

शीला सिद्धांतकर

ऐसी बहीं सनकी आँधियाँ

पद्मजा घोरपड़े

वो पागल

वसीम अकरम

पगली

प्रतिभा शतपथी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere