जवाहरलाल नेहरू के उद्धरण

अपने मुँह से अपनी तारीफ़ करना हमेशा ख़तरनाक-चीज़ होती है। राष्ट्र के लिए भी वह उतनी ख़तरनाक है, क्योंकि वह उसे आत्मसंतुष्ट और निष्क्रिय बना देती है, और दुनिया उसे पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाती है।

अंग्रेज़ उन बातों में बड़े ईमानदार हैं, जिनसे उनका फ़ायदा हो सकता है।
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औरों की कमज़ोरियों की तरफ़ न देखें, औरों की नुक्ता-चीनी न करें—अपनी तरफ़ देखें। अगर हर एक आदमी अपना-अपना कर्तव्य करता है, अपना-अपना फ़र्ज़ अदा करता है, तो दुनिया का काम बहुत आगे जाएगा।
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किसी उच्चादर्श में कुछ आस्था होना- अपने जीवन को सार्थक करने और हमें बाँधे रखने के लिए आवश्यक है।
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इंसान भले ही तारों तक पहुँच न पाए, लेकिन उनकी तरफ़ देखा तो करता ही है। तो सिर्फ़ इसलिए अपने आदर्शों को नीचे करना ठीक नहीं, कि वे बहुत ऊँचे हैं- भले ही आप उनको पूरा-पूरा हासिल न कर सकें।
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यह कुछ अजीब बात है कि जिन पत्रों को लिखने की हमारी सबसे ज़्यादा इच्छा रहती है, वे अक्सर देर में लिखे जाते है।
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दूसरों की ग़लतियों की आलोचनाएँ ज़रूर की जाएँ लेकिन हमें अपनी तरफ़ भी ज़रूर देखना चाहिए।
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संबंधित विषय : आलोचना
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परिवर्तन का चक्र घूमता रहता है और जो नीचे थे वे ऊपर आ जाते हैं, और जो ऊपर थे वे नीचे गिर जाते हैं।
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संबंधित विषय : परिवर्तन
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अपने मुँह से अपनी तारीफ़ करना हमेशा ख़तरनाक-चीज़ होती है। राष्ट्र के लिए भी वह उतनी ख़तरनाक है, क्योंकि वह उसे आत्मसंतुष्ट और निष्क्रिय बना देती है और दुनिया उसे पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाती है।
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संबंधित विषय : जीवन
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हम अपना कर्तव्य पूरा करेंगे, और जो लोग हमारे बाद आएँगे—उस काम को चालू रखेंगे, क्योंकि देश के काम कभी ख़त्म नहीं होते। देश के लोग आटे हैं और जाते हैं, लेकिन देश अमर होता है और क़ौम अमर रहती है।
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प्रायः दुनिया का हर देश यह विश्वास करता है कि स्रष्टा ने उसे कुछ विशेष गुण देकर भेजा है, कि वही दूसरों की अपेक्षा श्रेष्ठ जाति या समुदाय का है। चाहे दूसरे अच्छे हों या बुरे, लेकिन उनसे कुछ घटिया प्राणी हैं।
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