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अकेलापन पर कविताएँ

‘अकेलापन’ अँग्रेज़ी भाषा

के शब्द ‘लोनलीनेस’ और ‘सॉलीट्यूड’ दोनों के अभिप्राय को प्रकट करता है। यह ‘लोनलीनेस’ के अभिप्राय में मन की एकांतिक नकारात्मक मनोदशा और ‘सॉलीट्यूड’ के अभिप्राय में मन की एकांतिक आध्यात्मिक मनोदशा को प्रकट करता है। दोनों मनोदशाएँ काव्य और कला-सृजन की उत्प्रेरक मानी जाती हैं।

इच्छा

सौरभ अनंत

मेघदूत विषाद

सुधांशु फ़िरदौस

नौ बजे से

सी. पी. कवाफ़ी

सेवानिवृत्ति

अविनाश मिश्र

वापसी

कुमार विकल

व्यवस्थाएँ

अविनाश मिश्र

बरसात

अशरफ़ अबूल-याज़िद

अकेले में शर्म आती है

रामकुमार तिवारी

वहाँ नहीं है अकेलापन

निकेफ़ोरॉस व्रेताकॉस

पीड़ा में पगी स्त्री

वियोगिनी ठाकुर

अंतहीन मनोदशाएँ

वियोगिनी ठाकुर

वह क्या है

नंदकिशोर आचार्य

अँधेरे अकेले में

निधीश त्यागी

साँझ

बा. भ. बोरकर

अंत में

सत्यम तिवारी

उलझन

सुधांशु फ़िरदौस

एकांत के अरण्य में

मोनिका कुमार

अकेला

निखिल आनंद गिरि

भटका हुआ अकेलापन

कैलाश वाजपेयी

प्रस्थान

बेबी शॉ

एकांत

अनुराधा अनन्या

फिर उसी जगह आ पँहुचा

वीरभद्र कार्कीढोली

अकेले का विरोध

कुमार अम्बुज

सीमेंट

इब्बार रब्बी

पैमाने

शचींद्र आर्य

अनर्ह मैं

अमित तिवारी

नैतिक संहिता

साैमित्र मोहन

दिल की बात

राजेश सकलानी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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