Font by Mehr Nastaliq Web

ग्रीष्म पर कविताएँ

ग्रीष्मकाल के रूप में

ऋतु-परिवर्तन और जमा अनुभूतियों-अनुभवों पर लिखी कविताएँ का संग्रह।

यादगोई

सुधांशु फ़िरदौस

गर्मियों की शाम

विष्णु खरे

जब पीले ने कहा

राजेश सकलानी

साँप

डी. एच. लॉरेंस

एक शाम

हिजम इराबत सिंह

गर्मियों की अगवानी

आर. चेतनक्रांति

जेठ

समृद्धि मनचंदा

जेठ का एक दिन

निलय उपाध्याय

जैसे

मानसी मिश्र

दोपहर

विनोद दास

जेठ

सुधीर रंजन सिंह

जून की एक दोपहर

निर्मला गर्ग

उमस

जगदीश चतुर्वेदी

ग्रीष्म का योद्धा

मनप्रसाद सुब्बा

बाहर अंदर

लाल्टू

तट के आस-पास

मनप्रसाद सुब्बा

मई का एक दिन

अरुण कमल

ग्रीष्म तक

सविता सिंह

शीतयुद्ध

योगेश कुमार ध्यानी

ग्रीष्म

सुशीला सामद

गर्मी

शिवमंगल सिद्धांतकर

ग्रीष्म की दुपहरें

श्रद्धा आढ़ा

ग्रीष्मागमन

मैथिलीशरण गुप्त

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere