
दूरी रहस्य से भरपूर है।

अभिमानी व्यक्ति की शान और उसके अपयश के बीच केवल एक पग की दूरी है।

हे धृतराष्ट्र! जलती हुई लकड़ियाँ अलग-अलग होने पर धुआँ फेंकती हैं और एक साथ होने पर प्रज्वलित हो उठती हैं। इसी प्रकार जाति-बंधु भी आपस में फूट होने पर दुख उठाते हैं और एकता होने पर सुखी रहते हैं।

दूर हुए बिना कोई वास्तव में समीप हो ही कैसे सकता है?

किसी संबंध से बचने के लिए अभाव जितना बड़ा कारण होता है, अभाव की पूर्ति उससे बड़ा कारण बन जाती है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere