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हाथ पर कविताएँ

हाथ हमारे प्रमुख अंग

हैं, जो हमें विशिष्ट कार्य-सक्षमता प्रदान करते हैं और इस रूप में श्रम-शक्ति के उपस्कर हैं। वे स्पर्श और मुद्राओं के माध्यम से प्रेम हो या प्रतिरोध—हमारी भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम भी बनते हैं। इस चयन में हाथ को विषय बनाती कविताओं का संकलन किया गया है।

हाथ

केदारनाथ सिंह

सतहें

कुँवर नारायण

अपराधी मन

यानिस रित्सोस

रोए क़ाबिल हाथ

संजय चतुर्वेदी

जलते हाथ

वास्को पोपा

हाथ

अदनान कफ़ील दरवेश

ये जो दो हाथ हैं

देवी प्रसाद मिश्र

हाथों में विचार और प्रेम

रविंद्र स्वप्निल प्रजापति

सुर्ख़ हथेलियाँ

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

माँ के हाथ

शंकरानंद

वे हाथ होते हैं

वेणु गोपाल

हाथ

पाश

शूद्रों के जो हाथ

नवेंदु महर्षि

हाथ थामना

आशीष यादव

यह हाथ

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

दो साबुत आँखें

लीलाधर मंडलोई

हमारे हाथ

प्रभात त्रिपाठी

हाथ

नरेंद्र जैन

हाथ

सुकांत सोम

खुरदुरापन

महेश चंद्र पुनेठा

यह हाथ

प्रयागनारायण त्रिपाठी

हाथों की करामात

शिवमंगल सिद्धांतकर

शब्दों के हाथ

अजित पुष्कल

ख़ाली हाथ

मणि मोहन

गोबर हाथ

शरद रंजन शरद

युक्ति

प्रेम रंजन अनिमेष

हाथ

नरेश अग्रवाल

हाथों से बड़ा हथियार

शिवमंगल सिद्धांतकर

हाथ

नरेश अग्रवाल

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere