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ईश्वर पर कविताएँ

ईश्वर मानवीय कल्पना

या स्मृति का अद्वितीय प्रतिबिंबन है। वह मानव के सुख-दुःख की कथाओं का नायक भी रहा है और अवलंब भी। संकल्पनाओं के लोकतंत्रीकरण के साथ मानव और ईश्वर के संबंध बदले हैं तो ईश्वर से मानव के संबंध और संवाद में भी अंतर आया है। आदिम प्रार्थनाओं से समकालीन कविताओं तक ईश्वर और मानव की इस सहयात्रा की प्रगति को देखा जा सकता है।

नई खेती

रमाशंकर यादव विद्रोही

नवस्तुति

अविनाश मिश्र

पतंग

संजय चतुर्वेदी

ऊपरवाला

कविता कादम्बरी

आत्मत्राण

रवींद्रनाथ टैगोर

समतल

आदर्श भूषण

हे भूख! मत मचल

अक्कमहादेवी

ईश्वर की मौत

मोहनदास नैमिशराय

स्पर्श

मदन कश्यप

ज़िबहख़ाने

अखिलेश श्रीवास्तव

याचना

सुमित त्रिपाठी

ईश्वर अब अधिक है

विनोद कुमार शुक्ल

प्रभु उसे क्षमा करो

गैब्रिएला मिस्ट्राल

हंस गीत

डब्ल्यू. एस. रेण्ड्रा

आकाँक्षा

नंदकिशोर आचार्य

ईश्वर

मंगलेश डबराल

ईश्वर तुम आत्महत्या कर लो

रुचि बहुगुणा उनियाल

मेरे बिना तुम प्रभु?

रेनर मरिया रिल्के

प्रोलेटेरियट

लुइस मुनोज़ मारिन

भ्रम

आरती अबोध

अस्पताल में

बोरीस पस्तेरनाक

ईश्वर और फ़रिश्ते

डैनियल वाएसबोर्ट

ईश्वर क्या है?

डैनियल वाएसबोर्ट

प्रभु का संदेश

एनरीक़ बुस्तमान्ते बैलीवियन

हेमलेट

बोरीस पस्तेरनाक

कल्पनाएँ

कार्लोस द्रमंद द अंद्रादे

धूलि-मंदिर

रवींद्रनाथ टैगोर

देवता बीमार

कोफ़ी अवूनोर

बंधु मेरे, क्या कहोगे तुम?

जोसेफ़ सीमन कॉटर सीनियर

रात में जब

अलेक्सांद्र ब्लोक

हे ऊपर वाले पापा!

एमिली डिकिन्सन

कष्ट में हैं देवता

घुँघरू परमार

देवताओं की खोज

शाम्भवी तिवारी

एक दिन

श्री अरविंद

हम

निशांत कौशिक

ईश्वर

श्री अरविंद

शीर्षकहीन कविता-5

रोबेर्तो ख्वार्रोस

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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