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हिंसा पर कविताएँ

हिंसा अनिष्ट या अपकार

करने की क्रिया या भाव है। यह मनसा, वाचा और कर्मणा—तीनों प्रकार से की जा सकती है। हिंसा को उद्घाटित करना और उसका प्रतिरोध कविता का धर्म रहा है। इस चयन में हिंसा विषयक कविताओं को शामिल किया गया है।

सफ़ेद रात

आलोकधन्वा

मारे जाएँगे

राजेश जोशी

भेड़िया

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

स्‍त्री और आग

नवीन रांगियाल

पोस्टमार्टम की रिपोर्ट

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

हिंदू वाली फ़ाइल्स

बच्चा लाल 'उन्मेष'

उसने कहा मुड़ो

वियोगिनी ठाकुर

कथा देश की

रमाशंकर यादव विद्रोही

महाभारत

अच्युतानंद मिश्र

इंतिज़ाम

कुँवर नारायण

तो फिर वे लोग कौन हैं?

गुलज़ार हुसैन

जीवन-चक्र

रवि प्रकाश

सभ्यताओं के मरने की बारी

जसिंता केरकेट्टा

इतिहास में अभागे

दिनेश कुशवाह

विध्वंस की शताब्दी

आस्तीक वाजपेयी

अगर यह हत्या थी

महेश वर्मा

मौन

आरती अबोध

अस्मिता

ज़ुबैर सैफ़ी

पोस्टकार्ड (4)

मिक्लोश राद्नोती

क्रूरता

दूधनाथ सिंह

उस वक़्त कहाँ थे तुम

नाज़िश अंसारी

सकुशल अपार

नवीन सागर

रात भर

नरेश सक्सेना

ख़तरा

कुमार अम्बुज

प्यार

अच्युतानंद मिश्र

निष्कर्ष

शुभांकर

नग्नता और प्रेम

मोहिनी सिंह

पेड़ों की मौत

अखिलेश सिंह

मौत

अतुल

ज़िबहख़ाने

अखिलेश श्रीवास्तव

उदाहरण के लिए

नरेंद्र जैन

मेरा गला दबा दो माँ

नाज़िश अंसारी

हम और दृश्य

रूपम मिश्र

सन् 3031

त्रिभुवन

समय

आशीष त्रिपाठी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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