पत्थर पर कविताएँ

छाती पर रखा पत्थर, पत्थर

की तरह लुढ़क आना, पत्थर के भीतर देवता, दीप पत्थर का, निरा पत्थर होना जैसे विभिन्न आशयों में पत्थर शब्द का इस्तेमाल करती कविताओं का एक विशिष्ट चयन।

तोड़ती पत्थर

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

पहाड़ पर लालटेन

मंगलेश डबराल

पानी

नरेश सक्सेना

शहर फिर से

मंगलेश डबराल

पत्थर और मोम

शाम्भवी तिवारी

पत्थर

शरद बिलाैरे

पत्थर

उदय प्रकाश

पत्थरों के नीचे

सितांशु यशश्चंद्र

एक पत्थर में

शिवम चौबे

पत्थर

नीलाभ अश्क

पत्थर का दुख

सदानंद शाही

रंग

ऋतु त्यागी

पत्थरों का शहर

बलराम शुक्ल

देवता बनाने में

अनिमेष मुखर्जी

वह आदमी

तुषार धवल

पत्थर-गाथा

कमल जीत चौधरी

पासंग

संतोष कुमार चतुर्वेदी

पत्थर और रस्सी

कौशल किशोर

मील का पत्थर है रात

लवली गोस्वामी

पहाड़-9

ब्रजरतन जोशी

पत्थर की तरह निश्चल

प्रभात त्रिपाठी

आकार बदलने लगे हैं पत्थर

नित्यानंद गायेन

पत्थरों पर तुम

कमल जीत चौधरी

ईंट और पत्थर

द्वारिका उनियाल

पत्थर

कमल जीत चौधरी

पत्थर

प्रभात त्रिपाठी

अविभक्त

विश्वंभरनाथ उपाध्याय

वही पत्थर

हेमंत शेष

चट्टान

रुस्तम

पत्थर

लनचेनबा मीतै

अजंता

गोपालचंद्र मिश्र

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere