
कला का कार्य यथास्थिति बताने से ज़्यादा यह कल्पना करना है कि क्या संभव है।

हममें से हर किसी का कुछ न कुछ क़ीमती खो रहा है। खोए हुए अवसर, खोई हुई संभावनाएँ, भावनाएँ… जो हम फिर कभी वापस नहीं पा सकते। यह जीवित रहने के अर्थ का एक हिस्सा है।

सच्चाई अक्सर आक्रामकता का एक भयानक हथियार होता है। सच के साथ झूठ बोलना और यहाँ तक कि हत्या करना भी संभव है।

शिक्षक को अपने शिष्य की संभावित शक्ति में विश्वास करना चाहिए, और उसे अपनी सारी कला को अपने शिष्य को इस शक्ति का अनुभव कराने की कोशिश में लगा देना चाहिए।


सत्य कल्पना से अधिक अजीब है। लेकिन ऐसा इसलिए है, क्योंकि कल्पना संभावनाओं से चिपके रहने के लिए बाध्य है; सच नहीं।

मानसिक रूप-विधान का नाम ही संभावना या कल्पना है।

यह कैसे हो सकता है कि कोई अपना रास्ता चुने भी, और उस पर अकेला भी न हो। राजमार्ग पर चलने वाले रास्ता नहीं चुनते; रास्ता उन्हें चुनता है।

जब तक मनुष्य उद्योग करता है उससे भूल होना संभव है।

विवेक और वैराग्य की दृढ़ता केवल प्रेम से ही संभव है। प्रेम-तत्त्व के अभाव में वैराग्य और विवेक अधिक देर तक टिक नहीं पाते।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere