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एकांत पर कविताएँ

एकांत का सामान्य अर्थ

शांत, सूना और शोरगुल-रहित स्थान है। मन के आंतरिक जगत का एकांत आध्यात्मिक अर्थ देता है। इस अर्थ में एकांत कविता और कला का एक अनुकूल पारितंत्र भी रचता है। एकाग्रचित्त, समर्पित, ध्याननिष्ठ के अर्थ में भाषा इसका प्रयोग करती रही है। कुछ प्रयोजनों में एकांत एकाकीपन का पर्याय हो उठता है।

एक और ढंग

श्रीकांत वर्मा

मैं तुम लोगों से दूर हूँ

गजानन माधव मुक्तिबोध

पागलदास

बोधिसत्व

मेघदूत विषाद

सुधांशु फ़िरदौस

एकांत

सारुल बागला

भटका हुआ अकेलापन

कैलाश वाजपेयी

मैंने सिखा लिया अपने को

अन्ना अख्मातोवा

मैं शुक्रगुज़ार हूँ...

दुन्या मिखाइल

नीरवता

कान्स्तैंतीन बालमोंत

एकांत में वह

कंचन जायसवाल

ख़ाली मकान

स्टीफन स्पेंडर

ग़लीचा

जुज़ेपे उंगारेत्ती

अस्पताल में

ह्यूगो विलियम्स

मुक्ति का मार्ग

यानिस रित्सोस

लगभग ऐयार

यानिस रित्सोस

निर्जन में

थाओ छ्येन

‘हूँ’ गीत

प्रकाश

एक लड़ाई

कुलदीप मिश्र

रात्रिदग्ध एकालाप

राजकमल चौधरी

साज़िश

नवीन रांगियाल

उजागर

ज्याेति शोभा

एकांत

जुज़ेपे उंगारेत्ती

वह क्या है

नंदकिशोर आचार्य

मेरी दिशाएँ

अंजुम शर्मा

एकांत के अरण्य में

मोनिका कुमार

आत्मालाप के क्षण

शचींद्र आर्य

नया एकांत

सविता सिंह

पुराना आदमी

वसु गंधर्व

अपना कमरा

शुभम श्री

देखो, मुझे ग़लत न समझना

सीताकांत महापात्र

एक नई प्रार्थना

कैलाश वाजपेयी

कन्याकुमारी

दूधनाथ सिंह

पृथ्वी का मंगल हो

अशोक वाजपेयी

एकांत

अमित तिवारी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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