एकांत पर उद्धरण
एकांत का सामान्य अर्थ
शांत, सूना और शोरगुल-रहित स्थान है। मन के आंतरिक जगत का एकांत आध्यात्मिक अर्थ देता है। इस अर्थ में एकांत कविता और कला का एक अनुकूल पारितंत्र भी रचता है। एकाग्रचित्त, समर्पित, ध्याननिष्ठ के अर्थ में भाषा इसका प्रयोग करती रही है। कुछ प्रयोजनों में एकांत एकाकीपन का पर्याय हो उठता है।

अकेले बैठना, चुप बैठना—इस प्रश्न की चिंता से मुक्त होकर बैठना कि ‘क्या सोच रहे हो?’—यह भी एक सुख है।


प्रेम अकेले होने का एक ढंग है।

वार्तालाप से बुद्धि विकसित होती है किंतु प्रतिभा की पाठशाला तो एकांत ही है।

निर्णायक को पाँच दोषों से बचना चाहिए—राग, लोभ, भय, द्वेष और एकांत में वादियों की बातें सुनना।

कविता एकांत देती है।

जीवन मरुस्थल है, जीवन एकांत है। मृत्यु हमें विशाल बहुमत में मिला देती है।


"कोई ज़िम्मेदारी नहीं। मुझे गंभीर या कलात्मक रूप से परिपूर्ण होने की आवश्यकता नहीं है। न ही मुझे श्रेष्ठ या प्रेरणादायक होने की आवश्यकता है। मैं बस घूमता हूँ। मैं कहता हूँ: 'तुम भाग रहे थे, यह ठीक है। यह करने लायक था।' और अब, दुनिया का संगीत मुझे बदल रहा है। मेरा नक्षत्र एक नए घर में प्रवेश कर रहा है। पेड़ और घास और स्पष्ट हो जाते हैं। एक के बाद एक दर्शन ख़त्म हो जाते हैं। सब कुछ हल्का है, लेकिन कम विचित्र नहीं। और इसी बीच, वह चीज़ यहाँ आ चुकी है। अदृश्य। जो इसका अनुमान लगा सकेगा, वही समझ पाएगा। अब दूसरों को इसकी देखभाल करने दो। मेरे लिए यह समय आराम करने का है।"

अंत में जब तुम चलते हो, तो तुम एकांत कि तलाश में होते हो और अगर एकांत तुम्हारे पास नहीं आता तो तुमको उसकी ओर जाना चाहिए।

एकांत मनुष्य की स्तिथियों का सबसे गहरा सत्य है। मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसे पता है कि वह अकेला है।

अपने एकाँत से एक अपनापन स्थापित करो, और उससे प्रेम करो। सहना सीखो उस पीड़ा को जो उस एकाँत से उपजती है, उसके साथ गुनगुनाओ। क्योंकी जो तुम्हारे समीप हैं, वे तुमसे बहुत दूर हैं।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere