Font by Mehr Nastaliq Web

पंडित पर उद्धरण

पंडित की टेक लिए ज्ञान

से सराबोर पद, सबद और कुंडलियों का एक विशिष्ट चयन।

quote

क्रोध, हर्ष, अभिमान, लज्जा, उद्दंडता, स्वयं को बहुत अधिक मानना—ये सब जिस मनुष्य को उसके लक्ष्य से नहीं हटाते, उसी को पंडित कहा जाता है।

वेदव्यास
quote

पंडित बुद्धि से युक्त मनुष्य अप्राप्य को प्राप्त करने की कामना नहीं करते, नष्ट वस्तु के विषय में शोक नहीं करना चाहते और आपत्ति पड़ने पर विमूढ़ नहीं होते।

वेदव्यास
quote

जो मनुष्य निश्चय करके कार्य प्रारंभ करता है, कार्य के मध्य में रुकता नहीं, समय को नष्ट नहीं करता और स्वयं को वश में रखता है, उसी को पंडित कहा जाता है।

वेदव्यास
quote

ब्राह्मण किसी के राज्य में रहता है और किसी के अन्न से पलता है, स्वराज्य में विचरता है और अमृत होकर जीता है। वह तुम्हारा मिथ्या गर्व है। ब्राह्मण सब कुछ सामर्थ्य रखने पर भी, स्वेच्छा से इन माया-स्तूपों को ठुकरा देता है, प्रकृति के कल्याण के लिए अपने ज्ञान का दान देता है।

जयशंकर प्रसाद
quote

आत्मज्ञान, कार्यों का सभारंभ, तितिक्षा, धर्म में स्थिरता—ये सब गुण जिसको उद्देश्य से दूर नहीं हटाते, उसी को पंडित कहा जाता है।

वेदव्यास
quote

क्षत्रियों का बल तेज है और ब्राह्मणों का बल क्षमा है।

वेदव्यास
quote

जो लोग कृष्ण-कृष्ण कहते हैं वह उसके पुजारी नहीं हैं। जो उसका काम करते हैं, वे ही पुजारी हैं। रोटी-रोटी कहने से पेट नहीं भरता, रोटी खाने से भरता है।

महात्मा गांधी
quote

राजा न्याय कर सकता है, परंतु ब्राह्मण क्षमा कर सकता है।

जयशंकर प्रसाद
quote

हर धर्म ने अपने-अपने ब्राह्मण पैदा किए हैं। वे इस नाम से पुकारे नहीं गए हैं, इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। मेरे ख़्याल से हमारे ब्राह्मण अन्य धर्मों के ब्राह्मणों की तुलना में अच्छे ही हैं।

महात्मा गांधी
quote

ब्राह्मण केवल धर्म से भयभीत है। अन्य किसी भी शक्ति को वह तुच्छ समझता है।

जयशंकर प्रसाद
quote

त्याग और क्षमा, तप और विद्या, तेज और सम्मान के लिए है-लोहे और सोने के सामने सिर झुकाने के लिए हम लोग ब्राह्मण नहीं बने हैं।

जयशंकर प्रसाद
quote

चारों वेद पढ़ा होने पर भी जो दुराचारी है, वह अधमता में शूद्र से भी बढ़कर है। जो अग्निहोत्र में तत्पर और जितेंद्रिय है, उसे 'ब्राह्मण' कहा जाता है।

वेदव्यास
quote

ब्राह्मणत्व एक सार्वभौम शाश्वत बुद्धिवैभव है। वह अपनी रक्षा के लिए, पुष्टि के लिए, और सेवा के लिए इतर वर्णों का संघटन कर लेगा।

जयशंकर प्रसाद
quote

आज मुझे अपने अंतर्निहित ब्राह्मणत्व की उपलब्धि हो रही है। चैतन्य सागर निस्तरंग है और ज्ञान ज्योति निर्मल है।

जयशंकर प्रसाद
quote

मेघ के समान मुक्त वर्षा-सा जीवन दान, सूर्य के समान अबाध आलोक विकीर्ण करना, सागर के समान कामना—नदियों को पचाते हुए सीमा के बाहर जाना, यही तो ब्राह्मण का आदर्श है।

जयशंकर प्रसाद
quote

मैं ब्राह्मण हूँ। मेरा साम्राज्य करुणा का था, मेरा धर्म प्रेम का था, आनंद-समुद्र में शांति-द्वीप का अधिवासी ब्राह्मण मैं, चंद्र-सूर्य नक्षत्र मेरे द्वीप थे, अनंत आकाश वितान था, शस्य श्यामला कोमला विश्वम्भरा मेरी शय्या थी। बौद्धिक विनोद कर्म था, संतोष धन था।

जयशंकर प्रसाद
quote

ब्राह्मण राज्य करना नहीं जानता, करना भी नहीं चाहता, हाँ, वह राजाओं का नियमन करना जानता है, राजा बनाना जानता है।

जयशंकर प्रसाद

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

रजिस्टर कीजिए