
डर के साथ झूठ और औचित्य भी आते हैं, जो चाहे कितने भी विश्वसनीय क्यों न हों; हमारे आत्म-सम्मान को कम कर देते हैं।

आत्मज्ञान, कार्यों का सभारंभ, तितिक्षा, धर्म में स्थिरता—ये सब गुण जिसको उद्देश्य से दूर नहीं हटाते, उसी को पंडित कहा जाता है।

बुद्धत्व का आगमन किसी नेता या गुरु द्वारा नहीं होता, आपके भीतर जो कुछ है उसकी समझ द्वारा ही इसका आगमन होता है।
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आपके पास ऐसा मन होना चाहिए जो पूर्णतः: अकेले होने में समर्थ हो, तथा जो दूसरे व्यक्तियों के अनुभवों और प्रचार से बोझिल न हो।

आत्मस्वरूप को भूलकर जो अहंभाव उठता है वही अहंकार है, जो विकार से त्रिगुण को क्षुब्ध करता है।

ज़रा से जीर्ण रूपों को, रोग से क्षीण शरीरों को और काल से ग्रस्त आयु को देखकर किसे अभिमान हो सकता है!

आप बिना किसी पुस्तक को पढ़े या बिना साधु—संतों और विद्वानों को सुने अपने मन का अवलोकन कर सकते हैं।
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere