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पुरुष पर कविताएँ

मच्छर

मिशियो माडो

मैं यह रात हूँ

जॉयस मन्सूर

केवल आग नहीं

पाब्लो नेरूदा

कौए और पुरुष

योगिनी राऊल

पुरुष निर्माण

गायत्रीबाला पंडा

शुभ मुहुर्त्त

सुतीक्ष्ण कुमार आनंदम

आँखि सभ

विजेता चौधरी

संभवामि

अरुणाभ सौरभ

एक दिन

श्रुति कुशवाहा

पुरुष

श्रुति कुशवाहा

कीर्ति गान बंद करो

कपिल भारद्वाज

दोनों ही आदमी थे

खेमकरण ‘सोमन’

पुल पर आदमी

कुमार विकल

दुखी दिनों में

कुमार विकल

सपनों की जगह

ऋतु त्यागी

चुटकुला

श्रुति कुशवाहा

शहर में साँप

नीरज नीर

धरती वाले मिट जाएँगे

वीरेंद्र वत्स

मानव-बम

सुल्तान अहमद

रिश्ता

अजय नेगी

रोना

श्रुति कुशवाहा

पहचान

तसलीमा नसरीन

विराम-चिह्न

अनादि सूफ़ी

पुरुष आप

संतोष मायामोहन

नारी सूक्ति

मोनालिसा जेना

वह

हरभजन सिंह रेणु

उकताहट

अजय नेगी

एक आख़िरी

अपूर्वा श्रीवास्तव

छुआछूत

नीलेश काथड़

तीसरे लोग

अखिलेश जायसवाल

मरुस्थल

संजीव कौशल

डरा हुआ आदमी

कुमार विकल

बच्चे

किसन सोसा

धूल

पूर्वांशी

किताब

गायत्रीबाला पंडा

मेरी इच्छा

दलपत चौहान

कुर्सी

अरुण आदित्य

हँसोड़ आदमी की आदत

श्रीधर करुणानिधि

स्वीकृति

अजय नेगी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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