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चुंबन पर कविताएँ

चुंबन प्रेमाभिव्यक्ति

का एक ख़ास स्पर्श है और बेहद नैसर्गिक है कि हर युग हर भाषा के कवि इसके अहसास की अभिव्यक्ति को प्रवृत्त हुए हैं। इस चयन में चूमने के प्रसंगों के साथ प्रेम के इर्द-गिर्द डूबती-इतराती कविताएँ हैं।

ग्रामीण प्रणय गीत

एमिलियो वास्केज़

चंचल चित्त

पाब्लो नेरूदा

एक रात द्वीप पर

पाब्लो नेरूदा

चुंबन

शुन्तारो तानीकावा

सागर शब्द है शुष्क

शुन्तारो तानीकावा

एक और जन्म

फरूग़ फरूख़ज़ाद

मेरी जान ले लो

अन्ना स्विर

चोरी

गीत चतुर्वेदी

पलभर के लिए मणिका

प्रसन्न कुमार मिश्र

माथा चूमने पर

मारीना त्स्वेतायेवा

स्त्री के पैरों पर

प्रियंका दुबे

चुम्बन

सौरभ मिश्र

कामना

फेदेरीको गार्सिया लोर्का

चुम्बन काम न आएगा

कुशाग्र अद्वैत

तिल

पंकज चतुर्वेदी

बोझ

गीत चतुर्वेदी

मेहनताना

सुधांशु फ़िरदौस

जाना

अमित तिवारी

घटना से परे

साैमित्र मोहन

चुंबन

इब्बार रब्बी

चुंबन

वसु गंधर्व

चुंबन

अमित तिवारी

चूमना

रवि प्रकाश

गुनाह का दूसरा गीत

धर्मवीर भारती

अभिसार

प्रतिभा शतपथी

पहला चुंबन

अशोक वाजपेयी

होंठों की जुंबिश

प्रदीप्त प्रीत

असंबद्ध

गीत चतुर्वेदी

मुंबई 2017

गिरिराज किराडू

जैसे वह एक आँसू था

पंकज चतुर्वेदी

पसलियाँ

प्रियंका दुबे

छूना

रमाशंकर सिंह

चार कविताएँ

दुर्गाचरण परिड़ा

चुंबन-सा अनगढ़

पल्लवी विनोद

जिस तरह वृहद आकाश

पूनम अरोड़ा

पहला प्यार

साैमित्र मोहन

चूमना

धर्मेश

चुंबन

मीनाक्षी जिजीविषा

रात चूमती है

सविता सिंह

तुम्हें चूमना

प्रदीप सैनी

भविष्य

मनोज कुमार पांडेय

चुंबन

धर्मवीर भारती

चार चुंबन

संजय शेफर्ड

चुंबन

मंगलेश डबराल

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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