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हिब्रू कविता पर कविताएँ

सँकरी घाटी

येहूदा आमिखाई

मेरा बेटा

येहूदा आमिखाई

शालीनता में खोया

येहूदा आमिखाई

स्मृति प्यार की

येहूदा आमिखाई

एक शाश्वत खिड़की

येहूदा आमिखाई

मेरे वालिद

येहूदा आमिखाई

विमान परिचारिका

येहूदा आमिखाई

वह जो भूलता है

येहूदा आमिखाई

बहुत परेशान हूँ

येहूदा आमिखाई

आँखें

येहूदा आमिखाई

सदिच्छा की एक घड़ी

येहूदा आमिखाई

एक अनंत खिड़की

येहूदा आमिखाई

मेरे बचपन में

येहूदा आमिखाई

उसने कहा

येहूदा आमिखाई

हम क़रीब थे

येहूदा आमिखाई

एक कमरे में इकट्ठा

येहूदा आमिखाई

आदमी अपनी ज़िंदगी में

येहूदा आमिखाई

किसी मलमास साल में

येहूदा आमिखाई

हम जहाँ सही होते हैं

येहूदा आमिखाई

एक बार लौटा फिर

येहूदा आमिखाई

मार्का लगाओ उन पर

येहूदा आमिखाई

बम का व्यास

येहूदा आमिखाई

मेरी पूर्व छात्रा

येहूदा आमिखाई

बिना अंत की कविता

येहूदा आमिखाई

बंद हैं दरवाज़े

येहूदा आमिखाई

माँ के लिए

येहूदा आमिखाई

मानव शरीर

येहूदा आमिखाई

विचित्रता

नूरीत ज़र्ख़ी

धरती जानती है

येहूदा आमिखाई

अगर कड़वे मुँह से

येहूदा आमिखाई

चरचराता दरवाज़ा

येहूदा आमिखाई

मेरी आत्मा

येहूदा आमिखाई

वे मुझे बुला रहे हैं

येहूदा आमिखाई

किसी को भूल गया

येहूदा आमिखाई

किसी को भूलना

येहूदा आमिखाई

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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