
अनिद्रा के रोगी का अंतिम आश्रय सोई हुई दुनिया से श्रेष्ठता की भावना है।

मनुष्य का लक्ष्य विजय, पूर्णता, सुरक्षा और श्रेष्ठता है।

गृहिणी की आजीविका श्रेष्ठ है। अन्य सभी पेशे केवल इस श्रेष्ठ पेशे की मदद करने के उद्देश्य से मौजूद हैं।

संसार कुछ भी करता फिरे, हल पर ही आश्रित है। अतएव कष्टप्रद होने पर भी कृषि कर्म ही श्रेष्ठ है।

कर्मों का संन्यास और निष्काम कर्मयोग यह दोनों ही परम कल्याण करने वाले हैं परंतु उन दोनों में भी कर्मों के संन्यास से कर्मयोग श्रेष्ठ है।


ज्ञान के लिए किया जाने वाला कर्म, सभी कर्मों में श्रेष्ठतम है।

अपना-अपना कर्म ही श्रेष्ठता व नीचता को परखने की कसौटी है।

कर्त्तव्यहीनता से कर्त्तव्य श्रेष्ठ है। पर कर्त्तव्य से अकर्तव्य श्रेष्ठ।

शरीर से इंद्रियाँ श्रेष्ठ हैं। इंद्रियों से मन श्रेष्ठ है। मन से बुद्धि श्रेष्ठ है और जो बुद्धि से भी श्रेष्ठ है वह आत्मा है।


श्रेष्ठता कुसंग से डरती है। नीचता ही उसे बंधु मानकर उससे घनिष्ठ संबंध स्थापित कर देती है।

इंद्रियों से मन श्रेष्ठ है, मन से बुद्धि श्रेष्ठ है, बुद्धि मे ज्ञान श्रेष्ठतर है, और ज्ञान से परात्पर परमात्मा श्रेष्ठ है।

श्रेष्ठ पुरुष को चाहिए कि कोई पापी हो या पुण्यात्मा अथवा वे वध के योग्य अपराध करने वाले ही क्यों न हों, उन सब पर दया करें, क्योंकि ऐसा कोई भी प्राणी नहीं है जिससे कभी अपराध होता ही न हो।

महानता सदा विनय-संपन्न होती है। तुच्छता अपने आपको श्रेष्ठ मानकर सदा गर्दन ऊँची किए रहती है।

युद्ध परिसीमा है परत्व के विकास की।

हे देवी! ख़ान से निकले हुए सर्वोत्तम रत्न को भी सोने में जड़ने की आवश्यकता तो पड़ती ही है।

योगी तपस्वियों से श्रेष्ठ है और शास्त्र के ज्ञानियों से भी श्रेष्ठ माना जाता है तथा कर्म करने वालों से भी योगी श्रेष्ठ है। अतः हे अर्जुन! तू योगी हो।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere