निर्भरता पर उद्धरण

किसी के शब्दों की लय में झूलना एक सुखद, लेकिन अचेतन निर्भरता हो सकती है।

धर्म स्त्री पर टिका है, सभ्यता स्त्री पर निर्भर है और फ़ैशन की जड़ भी वही है। बात क्यों बढ़ाओ, एक शब्द में कहो—दुनिया स्त्री पर टिकी है।


आदर्श की प्राप्ति समर्पण की पूर्णता पर निर्भर है।

समय-समय पर अवसरानुकूल कभी कोमल तथा कभी तीक्ष्ण स्वभाव वाला बन जाए।