
धर्म स्त्री पर टिका है, सभ्यता स्त्री पर निर्भर है और फ़ैशन की जड़ भी वही है। बात क्यों बढ़ाओ, एक शब्द में कहो—दुनिया स्त्री पर टिकी है।

समग्रता में भाषा, रूपक की सतत प्रक्रिया है। अर्थ-मीमांसा का इतिहास, संस्कृति के इतिहास का एक पहलू है। भाषा एक ही समय में एक जीवित वस्तु, जीवन और सभ्यताओं के जीवाश्मों का संग्रहालय है।


मनुष्य के भीतर जो कुछ वास्तविक है, उसे छिपाने के लिए जब वह सभ्यता और शिष्टाचार का चोला पहनता है, तब उसे संभालने के लिए व्यस्त होकर कभी-कभी अपनी आँखों में ही उसको तुच्छ बनना पड़ता है।

मनु का नाम आते ही हमें अपनी सभ्यता के उस धुँधले प्रभात का स्मरण हो जाता है; जिसमें सूर्य की उषाकालीन किरणों के प्रकाश में मानव और देव, दोनों साथ-साथ विचरते हुए दिखाई देते हैं।

गंगा तो विशेष कर भारत की नदी है, जनता की प्रिय है, जिससे लिपटी हुई हैं भारत की जातीय स्मृतियाँ, उसकी आशाएँ और उसके भय, उसके विजयगान, उसकी विजय और पराजय! गंगा तो भारत की प्राचीन सभ्यता का प्रतीक रही है, निशानी रही है, सदा बलवती, सदा बहती, फिर वही गंगा की गंगा।

मनुष्य के लिए कविता इतनी प्रयोजनीय वस्तु है कि संसार की सभ्य-असभ्य सभी जातियों में, किसी-न-किसी रूप में, पाई जाती है। चाहे इतिहास न हो, विज्ञान न हो, दर्शन न हो, पर कविता का प्रचार अवश्य रहेगा।

तुम लोग इज़्ज़तों में और पर्दों में रहकर जाने किन-किन व्यर्थताओं को अपने साथ लपेट लेते हो और उनमें गौरव मानते हो। यह सब तुम लोगों की झूठी सभ्यता है, ढकोसला है। फिर कहते हो, हम सच को पाना चाहते हैं। तुम्हारा सच कपड़ों में है, लिबास में है और सच्चाई से डरने में है।

प्रत्येक देश और समाज के मुहावरे उसकी सभ्यता, संस्कृति और ऐतिहासिक-भौगोलिक, स्थिति की उपज हैं। पर अँग्रेज़ी की नक़ल में भी हमें इसका भी ध्यान नहीं रहता।

ज्यों-ज्यों हमारी वृत्तियों पर सभ्यता के नए-नए आवरण चढ़ते जाएँगे त्यों-त्यों एक ओर तो कविता की आवश्यकता बढ़ती जाएगी, दूसरी ओर कवि-कर्म कठिन होता जाएगा।

कहानी का स्थान महज़ साहित्य की दृष्टि से केंद्रीय नहीं है, मनुष्य की सभ्यता में भी केंद्रीय है। सभ्यता की चर्चा करनी हो तो हमें एक कहानी के रूप में करनी होगी।

आप किस प्रकार के तकनीकी ज्ञान से उत्पादन और वितरण में लगे हैं—इसके आधार पर समाज या सभ्यता का निर्माण होता है।

आर्य सभ्यता को जो युगांत तक फैला हुआ इतिहास है, इक्ष्वाकुवंशी राजा उसके मेरुदंड कहे जा सकते हैं।

सभ्यता के साथ व्यक्ति के जो भी इक़रार-नामा हैं, उनका आधार अतीत है।

मैं अब ‘संस्कृति’ शब्द का प्रयोग नहीं करूँगा, मैं अब ‘सभ्यता’ शब्द का प्रयोग करना चाहता हूँ।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere