मंदिर पर उद्धरण

मंदिर भारतीय सांस्कृतिक

जीवन का अभिन्न अंग रहे हैं। सांप्रदायिक सौहार्द के कविता-संवाद में मंदिर-मस्जिद का उपयोग समूहों और प्रवृत्तियों के रूपक की तरह भी किया गया है। इस चयन विशेष में उन कविताओं का संकलन किया गया है, जहाँ मंदिर प्रमुख विषय या संदर्भ की तरह आए हैं।

quote

क्या प्रीति का लक्षण यही है कि पुरुष स्त्री को काँच की गुड़िया के समान संभाल कर रखे? वस्तुतः अपने जैसा ही उसे बनाना सच्चे प्रेम का लक्षण है। इसलिए मुझे अपने जैसा ही श्रमजीवी बना लो क्योंकि घर मंदिर नहीं है और मैं गृहिणी हूँ, देवी नहीं।

यशवंत दिनकर पेंढरकर
quote

शिक्षा का विरोधाभास यही है कि जैसे ही व्यक्ति जागरूक होने लगता है, वह उस समाज की जाँच करना शुरू कर देता है जिसमें उसे शिक्षित किया जा रहा है।

जेम्स बाल्डविन
quote

हमारे यहाँ के मज़दूर, चित्रकार तथा लकड़ी और पत्थर पर काम करने वाले भूखों मरते हैं तब हमारे मंदिरों की मूर्तियाँ कैसे सुंदर हो सकती हैं?

सरदार पूर्ण सिंह
quote

अपने मंदिरों को अछूतों के लिए खोलकर सच्चे देव-मंदिर बनाइए। आपके ब्राह्मण-ब्राह्मणेतर के झगड़ों की दुर्गंध भी कँपकँपी लाने वाली है। जब तक आप इस दुर्गंध को नहीं मिटाएँगे, तब तक कोई काम नहीं होगा।

सरदार वल्लभ भाई पटेल
quote

हे जगदीश, जो लोग कामिनी जनों की ओर घूरने ही के लिए देवालयों को सबेरे और सायंकाल जाते हैं, उन्हीं की सब कोई यदि प्रशंसा करे तो हाय! हाय! आस्तिकता अस्त हो गई समझनी चाहिए।

महावीर प्रसाद द्विवेदी
quote

संपूर्ण पृथ्वी ही माँ का खप्पर है। अखिल विश्व ब्रह्मांड ही सर्वव्यापिनी, सर्वशक्तिमती, सृष्टि और मरण की क्रीड़ा में निरत माँ भवानी का मंदिर है।

हरिकृष्ण प्रेमी
quote

मंदिर की कोण-शिला उसकी नींव में सबसे नीचे गड़े हुए पत्थर से ऊँची नहीं है।

खलील जिब्रान

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere