वर्षा पर कड़वक

ऋतुओं का वर्णन और उनके

अवलंब से प्रसंग-निरूपण काव्य का एक प्रमुख तत्त्व रहा है। इनमें वर्षा अथवा पावस ऋतु की अपनी अद्वितीय उपस्थिति रही है, जब पूरी पृथ्वी सजल हो उठती है। इनका उपयोग बिंबों के रूप में विभिन्न युगीन संदर्भों के वर्णन के लिए भी किया गया है। प्रस्तुत चयन में वर्षा विषयक विशिष्ट कविताओं का संकलन किया गया है।

बारहमासा (सावन)

मुल्ला दाउद

नागमती वियोग (पाँच)

मलिक मोहम्मद जायसी

नागमती वियोग (तीन)

मलिक मोहम्मद जायसी

षड्ऋतु वर्णन (पावस)

मलिक मोहम्मद जायसी

नागमती वियोग (चार)

मलिक मोहम्मद जायसी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere