सत्संग पर सबद

भक्तिधारा में संत-महात्माओं

की संगति और उनके साथ धार्मिक चर्चा को पर्याप्त महत्ता दी गई है। प्रस्तुत चयन में सत्संग विषयक भक्ति काव्य-रूपों को शामिल किया गया है।

कतिक करम कमावणे

गुरु अर्जुनदेव

बारहमासा

तुलसी साहब

सावण सरसी कामणी

गुरु अर्जुनदेव

दुनियाँ भरम भूल बौराई

संत दरिया (मारवाड़ वाले)

प्रेमी सुनो प्रेम की बात

संत शिवदयाल सिंह

घर आग लगावे सखी

संत शिवदयाल सिंह

संतो कहा गृहस्त कहा त्यागी

संत दरिया (मारवाड़ वाले)

असुन प्रेम उमाहड़ा

गुरु अर्जुनदेव

आसाड़ तपंदा तिस लगै

गुरु अर्जुनदेव

भादुइ भरम भुलाणीआ

गुरु अर्जुनदेव

पोख तुखार न विआपई

गुरु अर्जुनदेव

वैसाख धीरन किउ वाढीआ

गुरु अर्जुनदेव

चेत गोविंद अराधीऐ

गुरु अर्जुनदेव

हर जेठ जुड़ंदा लोड़ीऐ

गुरु अर्जुनदेव

माघ मजन संग साधूआ

गुरु अर्जुनदेव

आओ गुरु दरबार री

संत सालिगराम

चल सूवा तेरे आद राज

संत दरिया (मारवाड़ वाले)

पतिब्रता पति मिली है लाग

संत दरिया (मारवाड़ वाले)

चल चल रे हंसा राम सिंध

संत दरिया (मारवाड़ वाले)

गुरु बिना कभी न उतरे पार

संत शिवदयाल सिंह

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere