हत्या पर उद्धरण
हत्या किसी का प्राण
हर लेने का हिंसक कृत्य है। नीति और विधान में इसे दंडनीय अपराध माना गया है। इस चयन में हत्या और हत्यारे को विषय बनाती अभिव्यक्तियों को शामिल किया गया है।

सच्चाई अक्सर आक्रामकता का एक भयानक हथियार होता है। सच के साथ झूठ बोलना और यहाँ तक कि हत्या करना भी संभव है।

युद्ध हमारे भाइयों के ख़िलाफ़ संगठित हत्या और यातना है।

एकमात्र साक्षी जो होगा वह जल्दी ही मार दिया जाएगा।

हत्यारों को क्षमा करके दया हत्या ही करती है।

हत्या करना इतना आसान नहीं है, जितना कि भले लोग मानते हैं।

हत्या की संस्कृति में प्रेम नहीं होता है।

क्षत्रिय युद्ध में मारा जाए तो वह शोक के योग्य नहीं है, यह निश्चित बात है।

हे सौम्य, जब तक घातक काल समीप नहीं आता, तब तक बुद्धि को शांति में लगाओ क्योंकि मृत्यु इस संसार में सब अवस्थाओं में रहने वाले की सब प्रकार से हत्या करती है।

क्रोधी मनुष्य पाप कर सकता है, क्रोधी गुरुजनों की हत्या कर सकता है, क्रोधी कठोर वाणी द्वारा श्रेष्ठ जनों का अपमान भी कर सकता है।
क्रोधी मनुष्य यह नहीं समझ पाता कि क्या कहना चाहिए तथा क्या नहीं। क्रोधी के लिए कुछ भी अकार्य एवं अवाच्य नहीं है।

हे निषाद! तुझे कभी शांति न मिले, क्योंकि तूने काम से मोहित क्रौंच के इस जोड़े में से एक की हत्या कर दी।

लूट के लोभ से हत्या-व्यवसायियों को एकत्र करके उन्हें वीर सेना कहना, रणकला का उपहास करना है।


सावधान, अपनी हत्या का उसे एकमात्र साक्षी मत बनने दो।

गौओं का नाम ही 'अघ्न्या' (अवध्य) है, फिर इन गौओं को कौन काट सकता है? जो लोग गौ को या बैल को मारते हैं, वे बड़ा अयोग्य कर्म करते हैं।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere