
अकेले स्वादिष्ट भोजन न करे, अकेले किसी विषय का निश्चय न करे, अकेले रास्ता न चले और बहुत से लोग सोए हों तो उनमें अकेला जागता न रहे।

क्या आपको नहीं लगता कि सब कुछ और हर किसी से छुटकारा पाकर बस किसी ऐसी जगह चले जाना अच्छा होगा जहाँ आप किसी व्यक्ति को नहीं जानते हैं?

मैं बारिश की याद के साथ, अचानक फिर से धूप वाले रास्ते पर अकेली रह गई हूँ।

यदि तेरी पुकार सुनकर कोई न आए तो तू अकेला ही चल।

वही सबसे तेज़ चलता है जो अकेला चलता है।

यह कैसे हो सकता है कि कोई अपना रास्ता चुने भी, और उस पर अकेला भी न हो। राजमार्ग पर चलने वाले रास्ता नहीं चुनते; रास्ता उन्हें चुनता है।

जो इच्छाओं से अभिभूत हैं, वे मर्त्य लोक में क्या, स्वर्ग में भी शांति नहीं पाते। तृष्णावान को काम से तृप्ति नहीं होती, जैसे हवा का साथ पाकर अग्नि की ईंधन से तृप्ति नहीं होती।

निःसंग मनीषी का अकेलापन उस व्यक्ति का अकेलापन है जिसे ईश्वर में विश्वास नहीं है। धर्म में जिसकी आस्था नहीं है और सभ्यता के सभी मूल्यों को जो शंका की दृष्टि से देखता है।

प्रत्येक वस्तु जो जीवित है, न तो अकेली जीवित है और न अपने लिए ही जोवित है।

विचार ही अकेलेपन का भी सृजन करता है, किन्तु यह अकेलेपन को पसंद नहीं करता। इसलिए यह इससे पलायन करने के मार्गों का आविष्कार कर लेता है।

कौन मनुष्य किसका बंधु है? किसको किससे क्या प्राप्त होता है? प्राणी अकेला ही उत्पन्न होता है और अकेला ही नष्ट हो जाता है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere