स्मृति पर यात्रा वृत्तांत
स्मृति एक मानसिक क्रिया
है, जो अर्जित अनुभव को आधार बनाती है और आवश्यकतानुसार इसका पुनरुत्पादन करती है। इसे एक आदर्श पुनरावृत्ति कहा गया है। स्मृतियाँ मानव अस्मिता का आधार कही जाती हैं और नैसर्गिक रूप से हमारी अभिव्यक्तियों का अंग बनती हैं। प्रस्तुत चयन में स्मृति को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।
हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान
यात्रा पर मैं दिल्ली से 15 जुलाई को, बंबई (मुंबई) से 16 जुलाई को और नैरोबी से 17 जुलाई को मॉरिशस के लिए रवाना हुआ। इधर से जाते समय नैरोबी (केन्या) की दुनिया में मुझे एक रात और दो दिन ठहरने का मौक़ा मिल गया। अतएव मन में यह लोभ जग गया कि मॉरिशस के भारतीयों
रामधारी सिंह दिनकर
डेनमार्क के आलस्टेड गाँव में एक रात
मैं जन्म से दिहाती नहीं हूँ, पर मैंने दिहात की ख़ूब खाक छानी है। सन् 1900 से 1910 तक जब मैं जौनपुर, बस्ती, बनारस तथा बरेली ज़िलों के स्कूलों के निरीक्षण का काम करता था, दिहाती भाइयों से मेरा हेल-मेल हो गया था। उनके गुण-दोष उस समय से मुझ पर प्रकट हो गए।
रामनारायण मिश्र
योरप में स्नान, शौचादि के नियम और बाहरी सफ़ाई
प्रति दिन स्नान करने की आदत रखनेवाले भारतीय जब यूरोप जाएँ तो उन्हें इसके लिए कुछ अधिक व्यय करने को तैयार रहना चाहिए। जहाज़ में तो स्नानागार बने हुए हैं, पारी-पारी से लोग यदि चाहें तो नहा सकते हैं। परंतु, यूरोप पहुँचकर होटलों में नहाने के लिए पैसा देना
रामनारायण मिश्र
पश्चिम के उस देश में जो सदा कलाकारों को प्रिय रहा है
जब हमने इस यात्रा का कार्यक्रम बनाया था तभी कनाडा और अमेरिका को छोड़ सबसे अधिक समय लंदन और इटली देश को देने का निश्चय किया था। लंदन को इसलिए कि ग्रेट ब्रिटेन से हमारा युगों तक संबंध रहा था, स्वतंत्र होने के पश्चात आज भी अपने देश के बाहर हमारा संबंध ग्रेट
सेठ गौविंददास
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere