स्मृति पर आत्मकथ्य
स्मृति एक मानसिक क्रिया
है, जो अर्जित अनुभव को आधार बनाती है और आवश्यकतानुसार इसका पुनरुत्पादन करती है। इसे एक आदर्श पुनरावृत्ति कहा गया है। स्मृतियाँ मानव अस्मिता का आधार कही जाती हैं और नैसर्गिक रूप से हमारी अभिव्यक्तियों का अंग बनती हैं। प्रस्तुत चयन में स्मृति को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।
गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात
उन दिनों मेरे भाई बलराज, सेवाग्राम में रहते थे, जहाँ वह 'नई तालीम' पत्रिका के सह-संपादक के रूप में काम कर रहे थे। यह सन् 1938 के आसपास की बात है, जिस साल कांग्रेस का हरिपुरा अधिवेशन हुआ था। कुछ दिन उनके साथ बिता पाने के लिए मैं उनके पास चला गया था। रेलगाड़ी
भीष्म साहनी
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere